भारत में जल्द ही हवाई जहाज से भी तेज रफ़्तार ट्रेन चल सकती है। इस दिशा में सरकार ने प्रयास शुरू कर दिया है। अगर यह सपना सच साबित हुआ तो दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी 80 मिनट में और मुंबई से पुणे का सफ़र 20 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। यह ट्रेन 1317 किलोमीटर लम्बी यात्रा सिर्फ 55 मिनट में पूरा कर सकती है। यह दावा किया है अमेरिका की एक कंपनी हाइपरलूप वन ने। हाइपरलूप ने अपने एक दावे में कहा है कि यह एक अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है जिसकी मदद से चलने वाली ट्रेन, बुलेट ट्रेन से दुगनी रफ्तार से दौड़ सकती है।
हाइपरलूप बुलेट ट्रेनों की तरह ही चुंबकीय शक्ति पर आधारित तकनीक है। जिसके तहत एलीवेटेड पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है जिसके अन्दर हवा के प्रवाह को रोक दिया जाता है। इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी एक बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। चुम्बकीय होने की वजह से इसमें घर्षण बिल्कुल नहीं होता, और इसकी रफ्तार 1100 से 1200 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे भी अधिक हो सकती है। इसके अन्य फायदों में प्रदूषण का स्तर कम होना और बिजली की कम खपत शामिल हैं।
हाइपरलूप तकनीक अभी एक सोच और कल्पना के स्तर पर है। इसे प्रयोग करना अभी बाकी है। इसे बनाने वाली कंपनी को पूरा भरोसा है कि पायलट प्रोजेक्ट तैयार हो जाने के बाद यह तकनीक पूरी दुनिया में एक क्रांति की तरह फ़ैल सकेगी।
भारत में हाइपरलूप की संभावना को तलाशने के लिए हाइपरलूप वन की ओर देश की राजधानी दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इसमें रेलमंत्री सुरेश प्रभु और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी शामिल होने पहुंचे। हालांकि प्रभु ने हाइपरलूप को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। सुरेश प्रभु ने सेमिनार के बाद कहा कि कहा ऐसी नई तकनीकों को अपनाना आसान नहीं है। रेल मंत्रालय हाइपरलूप टेक्नोलॉजी का अध्ययन कर रहा है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि प्रोटोटाइप के सफल परीक्षण के बाद इस तकनीक को अपनाने पर फैसला लिया जाएगा।
सेमिनार को संबोधित करते हुए हाइपरलूप वन के कार्यकारी अध्यक्ष शेरविन पिशेवर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का हवाला देते हुए हाइपरलूप को भारत के लिए अत्यंत जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और दुबई में भी इस तकनीक पर काम हो रहा है और भारत में हम इस तकनीक के माध्यम से प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के साथ खुद को जोड़ सकते हैं।