न मंत्री, न मुख्यमंत्री, सीधा प्रधानमंत्री बने थे Chandra Shekhar, कहानी कांग्रेस के ‘युवा तुर्क’ के पीएम बनने की

साल 1989, देश में जनता दल की गठबंधन सरकार बनी। उस समय पीएम की रेस में चंद्रशेखर भी शामिल थे। लेकिन प्रधानमंत्री बने वीपी सिंह। वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अरुण नेहरू और देवीलाल जैसे दिग्गज नेताओं ने बकायदा साजिश रची जिसकी भनक तक चंद्रशेखर को न लगी।

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Chandra Shekhar
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चंद्रशेखर सिंह ने 10 नवंबर, 1991 को भारत के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वो अगले 223 दिनों तक इस पद पर बने रहे। 1 जुलाई, 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी में जन्मे चंद्रशेखर 24 साल की उम्र में राजनीति में सक्रिय हो गए थे। 1952 में, वह PSP के संयुक्त सचिव पद तक पहुंचे। तीन साल बाद, वह यूपी में पार्टी के महासचिव बने। 1957 में जब दूसरा आम चुनाव हुआ, तो चंद्रशेखर खुद को राष्ट्रीय राजनीति में लाना चाहते थे और उन्होंने अपने गृह जिले के रसरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। हालांकि, उन्हें मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इसने उन्हें अपनी राष्ट्रीय आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने से नहीं रोका। 1959-62 के दौरान, उन्होंने PSP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में कार्य किया। दिलचस्प बात ये है कि भारतीय राजनीति के युवा तुर्क कहे जाने वाले चंद्रशेखर कभी मंत्री भी नहीं रहे और सीधे प्रधानमंत्री बन गए। आइए जानते हैं चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने की कहानी।

साल 1989, देश में जनता दल की गठबंधन सरकार बनी। उस समय पीएम की रेस में चंद्रशेखर भी शामिल थे। लेकिन प्रधानमंत्री बने वीपी सिंह। वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अरुण नेहरू और देवीलाल जैसे दिग्गज नेताओं ने बकायदा साजिश रची जिसकी भनक तक चंद्रशेखर को न लगी। लेकिन वीपी सिंह बहुत दिनों तक सत्ता में नहीं रहे और 11 महीने के बाद ही उनकी सरकार गिर गई और फिर चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने।

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जब बीजेपी ने गिराई वीपी सिंह की सरकार

चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने की कहानी जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर वीपी सिंह की सरकार कैसे गिरी। मंडल कमीशन को लेकर देश में बवाल मचा था। इसी बीच बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय बताते हैं, ”वीपी सिंह की सरकार दो कारणों से गिरी थी। एक तो जनता दल के आपस में झगड़े थे और दूसरा ये कि राजीव गांधी ने चंद्रशेखर से हाथ मिला लिया था। उस वक्त चंद्रशेखर के साथ 64 सांसद थे। 23 अक्टूबर 1990 को लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद सरकार अल्पमत में आ गई।” इसके बाद हालात ये थे कि या तो तुरंत चुनाव कराए जाएं या फिर कोई वैकल्पिक सरकार बने। तो राजीव गांधी ने चंद्रशेखर से बातचीत की। फिर कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके काम में कांग्रेस हस्तक्षेप करना शुरु किया तो ये चंद्रशेखर ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। समर्थन वापस लेने की खबरों के बीच चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

हैरत की बात ये है कि चंद्रशेखर केन्द्र तो क्या किसी राज्य में कभी मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पद पर नहीं रहे और सीधे मंत्रियों के प्रधान बन गए। वह 1977 से 1988 तक जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। उन्होंने 10 नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 तक के बेहद कम समय के लिए प्रधानमंत्री पद संभाला। दरअसल, उन्होंने इस्तीफा तो 6 मार्च 1991 को ही दे दिया था, लेकिन उन्हें अगली व्यवस्था होने तक इस पद पर बने रहने की जिम्मेदारी दी गई थी।

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