क्यों पटेल नहीं बन सके प्रधानमंत्री? ये हैं 5 कारण…

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patel gandhi nehru
महात्मा गांधी के साथ नेहरू और पटेल

सब जानते हैं कि सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। देश को एकजुट करने में उनका बड़ा योगदान था। वर्तमान समय में जो देश की तस्वीर है उसे बनाने में सरदार पटेल का अहम योगदान है। हालांकि मौजूदा समय में इस बात को लेकर अक्सर चर्चा होती है कि सरदार पटेल देश के पीएम होते तो क्या होता? सरदार पटेल देश के पहले पीएम होते तो क्या होता इसका जवाब देना तो एक कल्पना करने तक ही सीमित है लेकिन हम इस पर जरूर विचार कर सकते हैं कि नेहरू ही क्यों देश के पीएम बने और सरदार पटेल क्यों नहीं?

  1. उम्र में पटेल नेहरू से 14 साल बड़े थे

1946 में जब ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से सरकार बनाने के लिए कहा था तो उस समय नेहरू के अंतर्गत सरदार पटेल ने गृह विभाग संभाला था। नेहरू वायसराय की कार्यकारी परिषद में उपाध्यक्ष थे। पटेल उस समय 71 तो वहीं नेहरू 57 साल के थे। यही पोर्टफोलियो पटेल मरते दम तक संभालते रहे। जब देश आजाद हुआ तो नेहरू के पास अनुभव और समय दोनों था, पटेल का पास समय की कमी थी।

  1. पटेल का स्वास्थ्य

इससे पहले पटेल 1942 से 1945 तक जेल में रहे थे। 1942 के आस-आस सरदार पटेल का स्वास्थ्य भी गिरने लगा था। 1935 में उनकी सर्जरी भी हुई थी। सरदार पटेल ने 1950 में दुनिया को अलविदा कह दिया तब देश में पहले आम चुनाव भी नहीं हुए थे।

  1. पटेल संगठन के तो नेहरू जनता के थे

1934 के बाद से पटेल की कांग्रेस पार्टी के संगठन पर मजबूत पकड़ थी। पार्टी के लिए फंड जुटाना हो या कांग्रेस के उम्मीदवारों को चुनना हो, ये सारा काम पटेल किया करते थे। पार्टी की मु्द्दों पर राय पटेल ही तय करते थे। 1937 में चुनाव हुए तो नेहरू चुनावी अभियान का नेतृत्व करने लगे, वोट जुटाना उनकी जिम्मेदारी थी। कांग्रेस की जीत ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया था।

  1. पटेल से पहले नेहरू बने कांग्रेस अध्यक्ष

1929 में जवाहरलाल कांग्रेस के अध्यक्ष थे। जबकि पटेल को ये पद 1931 में मिला। 1929 से ही नेहरू का कांग्रेस की नीतियों पर काफी गहरा असर रहा। उन्होंने 1929 में पूर्ण स्वराज की मांग की थी।

  1. पटेल गांधी के छोटे भाई तो नेहरू गांधी के उत्तराधिकारी थे

1929 में नेहरू भारत की आजादी के सबसे बड़े नेता हो गए, कहा जा सकता है कि लोग उनको गांधी का उत्तराधिकारी मानने लगे थे। 1941 में गांधी ने कह दिया कि नेहरू ही उनके उत्तराधिकारी होंगे। वहीं 1932 में पटेल गांधी के साथ जेल में थे। इस दौरान वे और बापू एक दूसरे करीबी बने। दोनों का रिश्ता बड़े भाई छोटे-भाई जैसा था।

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