हिंदी की जानी-मानी लेखिका मन्नू भंडारी (Manu Bhandari) का निधन हो गया है। मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की जानी मानी शख्सियत थीं। उन्होंने 90 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा। भंडारी का रचनाकाल 1950 के दशक के आखिर से 1960 के दशक की शुरुआत के बीच का रहा। वह अपने दो हिंदी उपन्यासों, ‘आप का बंटी’ और ‘महाभोज’ के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती हैं। उन्हें अक्सर नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक के रूप में श्रेय दिया जाता है।
मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को भानपुरा (मध्यप्रदेश) में हुआ था। हालांकि वे अजमेर (राजस्थान) में पली-बढ़ीं। उनके पिता सुखसंपत राय भंडारी एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और कई शब्दकोशों के निर्माता थे। वह पांच बच्चों (दो भाई, तीन बहनों) में सबसे छोटी थीं। उन्होंने अजमेर में अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। जिसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा और साहित्य में एमए की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने शुरू में कलकत्ता में हिंदी के लेक्चरर के रूप में काम किया, लेकिन बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय में मिरांडा हाउस कॉलेज में हिंदी साहित्य पढ़ाने के लिए दिल्ली लौट आईं। हिंदी के जानमाने लेखक और संपादक राजेंद्र यादव उनके पति थे।
सोशल मीडिया यूजर्स ने कुछ इस तरह किया याद…
उनके निधन पर ट्विटर यूजर प्रतिमा ने लिखा, ‘ जानी-मानी लेखिका, नई कहानी आंदोलन के चेहरों में से एक मन्नू भंडारी का आज दोपहर निधन हो गया। वे 90 साल की थीँ। उनका निधन साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।’
गौरव मुजेवर ने लिखा, ‘हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी का 90 साल की उम्र में निधन। विनम्र श्रद्धांजलि।’
पत्रकार निधि कुलपति ने लिखा,’मन्नू भंडारी का नाम सबसे पहले माँ से सुना। वे उनके उपन्यासों की तारीफ़ करती रही हैं। भावनाओं को टटोलती कहानी लिखने वाली वरिष्ठ लेखिका को नमन एवं श्रद्धांजलि।’
डॉ. रमाकान्त राय ने लिखा, ‘यही सच है, महाभोज और आपका बंटी जैसी महान रचनाओं की लेखिका मन्नू भंडारी के देहावसान की सूचना मिल रही है। एक कहानी यह भी, उनकी आत्मकथा है। हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।’
फ्रैंक हुजूर ने लिखा, ‘जानी मानी हिंदी लेखिका मन्नू भंडरी का नई दिल्ली में निधन हो गया है।’
यह भी पढ़ें: लेखिका Manu Bhandari का निधन, ‘आप का बंटी’ और ‘महाभोज’ जैसी रचनाओं से हिंदी साहित्य को किया समृद्ध