प्रमोशन में रिजर्वेशन (आरक्षण) के मुद्दे पर Supreme Court में आज मंगलवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह स्पष्ठ कर दिया है कि हम केवल इस बात पर विचार करेंगे कि क्या हाईकोर्ट के फैसलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए पहले के दो फैसलों में तय सिद्धांतों का पालन हुआ है या नहीं?
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि वह 2006 के एम. नागराज और 2018 के जरनैल सिंह मामलों में दिए गए निर्णयों पर पुनर्विचार नहीं करेगी। इन दोनों फैसलों में ही पदोन्नति में आरक्षण संबंधी नीतियों के लिए शर्तें निर्धारित की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को SC/ST के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने की नीतियों में उन सभी शर्तों को पूरा करना होगा। जो शीर्ष अदालत की अलग-अलग संविधान पीठ ने पिछले दो फैसलों में तय की हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों मामलों में दिए गए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले SC/ST वर्ग का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व दिखाने वाले मात्रात्मक डेटा जुटाने, प्रशासनिक दक्षता और सार्वजनिक रोजगार पर आरक्षण के प्रभाव का आकलन करने को अनिवार्य बनाया था।
पिछली सुनवाई में वकील इंद्रा जयसिंह ने कहा कि एक याचिककर्ता की तरफ से कहा था कि यहां सवाल यह है कि राज्य पिछड़ेपन को निर्धारित करेंगे। कई मामलो में कई राज्यों के हाई कोर्ट्स ने कई मामलो को यह कहते हुए नकार दिया है कि उन मामलों में पिछड़ेपन का दिया गया आधार नही दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया था दो हफ्ते का वक्त
इसपर जस्टिस राव ने कहा हम राज्यों को सलाह देने के लिए नही बैठें हुए है कि राज्य को क्या करना चाहिए। यह हमारा काम नही है कि राज्यों को बताए कि पॉलिसी को कैसे लागू करे। इस मामले में कोर्ट ने सभी राज्यों को 2 हफ्ते के भीतर राज्य के विशेष तरह के मामलो को कोर्ट के सामने रखने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के मामले है। इसलिए उनकी सुनवाई राज्यवार अलग-अलग ही की जाएगी।
दरअसल देश भर में नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाए दाखिल की गई है। इन याचिकाओं में केंद्र और राज्यों द्वारा प्रमोशन में आरक्षण की नीति से संबंधित 11 विभिन्न हाईकोर्ट के फैसलों के आधार पर दाखिल लगभग 133 मामलों पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। मामले में कहा गया है कि अलग-अलग हाई कोर्ट के परस्पर विरोधी आदेशों के कारण कई पदों पर नियुक्तियां नही हो सकी है। आज इस मामले पर सुनवाई होनी है।
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