Haridwar Dharma Sansad: हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar Dharma Sansad) में भड़काऊ भाषणों की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा हम मामले पर दस दिन के बाद सनवाई करेंगे।
CJI ने मामले पर दाखिल याचिका और हस्तक्षेप याचिका पर पक्ष सुनने के बाद कहा कि सवाल यह है कि इस मुद्दे से जुड़े कोर्ट के फैसले हैं। जिनके अनुपालन की जरूरत है ऐसा याचिका में कहा जा रहा है। इस तरह के मुद्दों से जुड़े अन्य मामले कोर्ट में लंबित हैं यह भी संज्ञान में है।
”सरकार को नोटिस जारी कर उनका रुख जानने से पहले कोई कार्रवाई नहीं हो सकती”
कोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे कि इस मामले को अलग से सुना जाए या उनके साथ जोड़कर, उन्हीं मामलो के साथ सुना जाए। आज सुनवाई के दौरान भाषण का ट्रांसलेशन कोर्ट को सौप दिया।
उन्होंने कहा कि भाषा ऐसी है कि वो पढ़ नहीं सकते। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर उनका रुख जानने से पहले कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि वहां सरकारें भी देख रही हैं।
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर कहा राज्य के जवाब के बाद केन्द्र को नोटिस देने पर विचार करेंगे। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आगे होने वाली धर्म संसद के बारे में अपनी आपत्तियों को स्थानीय निकायों और प्रशासन को इसकी जानकारी दें।

याचिककर्ताओ की ओर से वकील सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों के हवाला देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं पर एक्शन लेने के लिए नोडल ऑफिसर की बहाली भी करनी होती है, बावजूद इसके कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है।
CJI ने कहा की अन्य बेंच के पास भी ऐसे ही मामले की सुनवाई लंबित है। सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा हमने इस मामले से जुड़ी कोई और अर्जी दाखिल नहीं की है। हालांकि यह जानकारी जरूर दी गई कि जस्टिस खानविलकर ने इस मामले पर सुनवाई की बात कही थी।
साथ ही यह भी बताया गया कि जस्टिस चंद्रचूड़ सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। वहीं वकील शादान फरासत ने कहा कि वैसे तो हेट स्पीच के कई मामले हैं लेकिन धर्मसंसद में नफरत फैलाने वाले ऐसे भाषण का यह पहला मामला है।
बता दें कि बुधवार को हरिद्वार में धर्म संसद में दिए गए भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने मामले पर सुनवाई की।
Haridwar Dharma Sansad मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली द्वारा दायर याचिका में मुसलमानों को निशाना बनाने वाले नफरत भरे भाषणों का हवाला दिया गया है और एक विशेष जांच दल द्वारा एक स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस की निष्क्रियता से पता चलता है कि सांप्रदायिक नफरत फैलाने वालों के साथ पुलिस खड़ी है।
धर्म संसद मामला क्या है?

मालूम हो कि 17-19 दिसंबर को आयोजित धार्मिक सभा में, विभिन्न धर्मगुरुओं ने मुसलमानों के खिलाफ हथियारों के इस्तेमाल का आह्वान करते हुए अपमानजनक भाषण दिए थे।
मामले के तूल पकड़ने के बाद, उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिज़वी के खिलाफ FIR दर्ज की। बाद में चार और नाम जोड़े गए- जिनमें सागर सिद्धू महाराज और यति नरसिम्हनन्द, धर्मदास और पूजा शकुन पांडे का नाम शामिल है।
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