जानिए Google के ऐसे प्रोजेक्ट के बारे में जिसके तहत एक ही मॉडल में होंगी दुनिया की 1,000 से अधिक भाषाएं

Google द्वारा 1,000 भाषाओं के लिये एक विशाल मॉडल बनाने के से व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली भाषाओं के साथ-साथ दुर्लभ भाषाओं का भी विकास होगा और वो भी एक साथ विकसित हो सकेंगी.

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Google Language Project

दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनी Google ने अपने नए महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की घोषणा कर दी है. इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनी कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence) तकनीक का प्रयोग कर के भाषा (Language) का एक पूरा सिंगल मॉडल तैयार करने जा रही है. गूगल के इस मॉडल में दुनिया की 1,000 सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाएं मौजूद होंगी.

इस समय दुनिया की दिग्गज तकनीकी कंपनियां कृत्रिम बुद्धिमता (AI) आधारित भाषा मॉडल विकसित करने और उसे लागू करने के लिये एक दुसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं. गूगल भी एक ऐसा मॉडल बना रहा है जो दुनिया की 1,000 सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं का समर्थन कर सकता है.

Google के उपाध्यक्ष जुबिन घरमनी ने कुछ दिन पहले इसके लेकर कहा था कि ‘कंपनी का मानना ​​​​है कि इस आकार का एक मॉडल बनाने से विभिन्न एआई कार्यात्मकताओं (AI functionalities) को उन भाषाओं में लाना आसान हो जाएगा जो ऑनलाइन स्पेस और एआई प्रशिक्षण डेटासेट में खराब प्रतिनिधित्व करती है.’

इस योजना से भारत जैसे देश को काफी फायदा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि भारत में अनकों तरह की भाषाएं लिखी, बोली जाती है. ऐसे में इन भाषाओं को अन्य लोगों को जानने, समझने में मदद मिलेगी.

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क्या है ये योजना?

इस परियोजना की क्षमता को जांचने के लिये गूगल एआई भाषा मॉडल पर भी कार्य कर रहा है, जो लगभग 400 भाषाओं का समर्थन करने में सक्षम है. अभी इस परियोजना पर काम चल रहा है और शोधकर्ता इस मॉडल में फीड करने के लिये भाषाई डाटा जुटा रहे हैं. हालांकि गूगल पहले से ही विभिन्न भाषाओं में खोज सुविधाएं एवं जानकारियां उपलब्ध करा रहा है. इसके अलावा गूगल ने पहले से ही व्यवसाय या अनुसंधान (Business and Research) में सहायता के लिये कई अन्य AI आधारित भाषा मॉडल लागू किये हैं.

गूगल के नए भाषा मॉडल के पिछे क्या है उद्देश्य?

इसी भाषायी मॉडल के माध्यम से गूगल उपयोगकर्ताओं (USERS) को बेहतर खोज, अधिक सटीक ऑटो-जेनरेट किये गए कैप्शन, गलती रहित ऑनलाइन अनुवाद और तेज गणनाओं में सक्षम बनाना है. इसके अलावा विभिन्न कार्यों में उपयोग के मामलों के लिये एआई भाषा मॉडल को समग्र रूप से बेहतर करना है.

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1,000 भाषाओं के लिये एक विशाल मॉडल बनाने के से व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली भाषाओं के साथ-साथ दुर्लभ भाषाओं का भी विकास होगा और वो भी एक साथ विकसित हो सकेंगी.

AI भाषा मॉडल के माध्यम से कंपनियों का लक्ष्य प्रक्रियाओं को स्वचालित करना, मौजूदा डाटा के आधार पर नई अंतर्दृष्टि उत्पन्न करना तथा अनुवाद, ग्राहक सेवा या संगणना जैसे क्षेत्रों में मानव श्रम पर निर्भरता कम करना है. वर्तमान में विभिन्न वेबसाइट चैटबॉट के माध्यम से गूगल द्वारा 24×7 सहायता सुविधा प्रदान करती हैं, जहां गूगल अनुवाद (Google Translate) जैसी सेवाएं तुरंत विदेशी भाषाओं का आपकी भाषा में अनुवाद कर करती हैं.

Google जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां, जिनके सर्वर पर अधिक मात्रा में उपयोगकर्ता डाटा (Users Data) और कटेंट उपलब्ध है के द्वारा ऐसे मॉडलों को तैयार करने से इन संसाधनों का उपयोग करने के लिये सटीक स्थिति में हैं.

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अन्य कंपनियां जो कर रही है इस तरह के भाषा मॉडल पर काम

AI को लेकर रिसर्च करने वाली फर्म ‘ओपनएआई’ (OpenAI) ने ‘डेविंसी, क्यूरी, बैबेज और एडा’ नामक मॉडल के जीपीटी-3 (जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर 3) सेट का निर्माण किया जो विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकते हैं. इनके अलावा वर्तमान में मेटा एआई-आधारित भाषा अनुवाद (AI enabled Translation Services) की दिशा में काम कर रहा है. फेसबुक एआई (Facebook-AI) के अनुसार, एमटूएम-100 (M2M-100) मॉडल ऐसा पहला बहुभाषी अनुवाद मॉडल है जो अनुवाद करते समय डिफॉल्ट भाषा के रूप में अंग्रेजी का उपयोग नहीं करता है.

सोश्ल मीडिया की एक ओर बड़ी कंपनी फेसबुक (मेटा) कंपनी न केवल मूलपाठ (Text) पर ध्यान केंद्रित कर रही है बल्कि होक्किएन (Hokkien) जैसी मौखिक भाषाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है. हालांकि गूगल उन भाषाओं के लिये भी डाटा एकत्र करना चाहता है जो व्यापक रूप से बोली तो जाती हैं किंतु उनकी ऑनलाइन माध्यमों पर उपस्थिति कम हैं.

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