सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को 9 नए न्यायाधीश मिल गए है। कॉलेजियम की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने इन सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति के वारंट पर साइन कर दिए थे। यह शीर्ष अदालत के इतिहास में पहली बार है जब 9 न्यायाधीश एक साथ पद की शपथ लिए हैं। शपथ ग्रहण समारोह कोर्ट रूम के बजाए ऑडिटोरियम में हुआ है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में मंगलवार को ऐसा पहली बार हुआ जब एक साथ 9 जजों ने शपथ ली है। देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने इन सभी को शपथ दिलाया। शपथ लेने वालों में तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या अब 33 हो जाएगी।
ये शपथ ग्रहण समारोह सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त भवन परिसर के सभागार में हुआ। आपको बता दें कि अब तक ये परपंरा थी कि नए न्यायाधीशों को पद की शपथ प्रधान न्यायाधीश के अदालत कक्ष में दिलाई जाती है। इस शपथ ग्रहण समारोह का डीडी न्यूज, डीडी इंडिया पर सीधा प्रसारण भी किया गया। इसके अलावा इस समारोह को सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक वेब पोर्टल के होम पेज पर भी किया गया।
शपथ लेने वाले 9 नए न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका, विक्रम नाथ, जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, हिमा कोहली और बी. वी. नागरत्ना शामिल हैं। इसके अलावा न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार, एमएम सुंदरेश, बेला एम त्रिवेदी और पीएस नरसिम्हा को भी पद की शपथ दिलाई गई है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
जस्टिस बीवी नागरत्ना समेत कुल 9 लोगों को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश बीते 18 अगस्त को की गई थी। केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति की मंजूरी 26 अगस्त को दे दी थी। राष्ट्रपति सचिवालय से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई थी। रामनाथ कोविंद ने जजों की नियुक्ति वारंट पर साइन कर दिए थे।
कॉलेजियम ने 3 महिला जजों समेत 9 नामों की थी सिफारिश
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए 9 नामों की सिफारिश की गई थी, जिनमें 3 महिला न्यायाधीश शामिल थी। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन के 12 अगस्त को सेवानिवृत्त हो जाने से उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कम होकर 25 हो गई थी जबकि सीजेआई समेत न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है। 19 मार्च 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में कोई नियुक्ति नहीं हुई थी।