कृषि कानून के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहे किसानों का मुद्दा सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट नहीं सुलझा पा रहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि, “अगले आदेश तक कृषि कानून को सरकार लागू नहीं कर सकती है। यानी की सरकार ने कानून पर रोक लगा दी है।” किसानों का मुद्दा बारीकी से समझने के लिए कोर्ट ने 4 सदस्यों वाली कमेटी बनाई जिसमें उन्होंने खुद तय किया है कि इसमें कौन शामिल होगा।
कमेटी के मुद्दे से किसान पहले ही नाराज चल रहे थे। किसानों का आरोप है कि कमेटी में शामिल लोग सरकार के हितकारी हैं और वे पहले ही कृषि कानून का पक्ष ले चुके हैं।
इन लोगों को कमेटी में किया गया शामिल
कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी
शेतकरी संगठन के अनिल घनवट
भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, तेजिंदर सिंह मान
AIKCC प्रमोद कुमार जोशी
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नाराज किसान संगठन आज यानी की लोहड़ी के दिन कृषि कानून की कॉपी जलाएंगे। किसानों का कहना है कि हम कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं हैं। हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों और सरकार के बीच कई बार की वार्ता हुई लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। बढ़ते आंदोलन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया फिर भी किसान संगठन खुश नहीं है।
गौरतलब है कि, किसानों का आंदोलन पिछले 50 दिनों से जारी है और इस दौरान कई किसान शहीद हुए हैं। इस बीच किसान आंदोलन थमता हुआ नहीं दिख रहा है। किसानों की मांग है कि कानून को रद्द करना ही सरकार के लिए एकमात्र उपाय है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को अगले दस दिनों में अपनी पहली बैठक करनी होगी। बैठक के दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। कमेटी हर पक्ष से बात करेगी और सीधे सर्वोच्च अदालत को ही रिपोर्ट करेगी।