दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ नेता Subramanian Swamy की एयर इंडिया के विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कोर्ट से कहा था कि एयर इंडिया के मामले में बोली प्रक्रिया असंवैधानिक, दुर्भावनापूर्ण और भ्रष्ट थी और टाटा के पक्ष में धांधली की गई थी।
Subramanian Swamy के इन आरोपों के विरोध केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय विमानन को घाटे में देखते हुए विनिवेश सरकार द्वारा लिया गया एक नीतिगत निर्णय था। उन्होंने कहा था कि सौदे के बारे में कुछ भी गुप्त नहीं था और अनुच्छेद 226 के तहत यह मुद्दा कोर्ट में विचार नहीं किया जा सकता है।
Subramanian Swamy की याचिका का केंद्र सरकार ने विरोध किया था
इसके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने Subramanian Swamy की अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया था कि टाटा संस पूरी तरह से भारतीय कंपनी है, जिसने इंडियन एयरलाइंस एयर इंडिया को खरीदा है। लिहाजा सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप पूरी तरह गलत है।

मालूम हो कि Subramanian Swamy के द्वारा इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देने के मामले में टाटा संस ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी और टाटा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि सफल बोली लगाने वाली 100 फीसदी भारतीय कंपनी है और भ्रष्टाचार के आरोप बिना किसी आधार के हैं।
हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा था कि साल 2017 से ही सरकार को एयरलाइन को बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस याचिका में कुछ भी नहीं है। Subramanian Swamy की ओर से ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है, जो उनके आरोपों को पुख्ता बनाती हो।
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