सड़क पर फैले बेतरतीब कूड़े की ये तस्वीरें देहरादून की हैं। कहने को ये देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी है लेकिन यहां के रिहायशी इलाकों में रहनेवाले कूड़े की बदबू से परेशान हैं। देहरादून शहर में फैले कूड़े के निस्तारण और निगम की अव्यवस्थाओं को लेकर एक जनहित याचिका याचिका दायर की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 24 घंटे के भीतर सार्वजनिक स्थानों, फुटपाथ, शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों में कूड़े के निस्तारण के निर्देश दिए। साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि 48 घंटे में सफाई नहीं हुई तो दून के जिलाधिकारी और नगर आयुक्त के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद देहरादून नगर निगम ने तेजी जरुर दिखाई, लेकिन महीनों से पड़े कूड़े और अव्यवस्थाओं को पटरी पर लाना नगर निगम के लिए कतई आसान नहीं दिख रहा। स्थिति यह है कि, चार दिन बीत जाने के बावजूद शहर में कई जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। आम जनता पहले की तरह ही परेशान है। हाई कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद नगर आयुक्त सफाई करने की बात करते दिखे।
कूड़े की सफाई को लेकर देहरादून नगर निगम फिक्रमंद तो नजर आ रहा है। लेकिन आम जनता निगम की कार्य़शैली से भली-भांति वाकिफ है कि यह सिर्फ कुछ दिनों का हल्ला है। आगे जाकर हालात फिर और खराब होने हैं।
नगर निगम, राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी राजधानी में सफाई को लेकर लापरवाह है। नगर निगम के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि सफाई कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से कूड़ा नहीं उठ पाया है। इस पर हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि अगर सफाई कर्मचारी हड़ताल पर होंगे तो क्या देहरादून नगर निगम सफाई नहीं करेगा। अब, सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के बाद कूड़ा निस्तारण तेजी से किया जा रहा है। इस गंदगी के लिये सफाई कर्मचारी भी जिम्मेदार हैं जो घरों का कूड़ा उठाकर उसे सड़को पर डाल देते हैं। इस इंतजार में कि नगर निगम की गाड़ी आकर उठा लेगी।
पिछले कुछ सालों में सरकारें तो जरुर बदलीं लेकिन देहरादून की सफाई व्यवस्था एक गंभीर चुनौती बनी रही। चुनाव के वक्त सभी दल बड़े-बड़े वायदे करते रहे हैं, लेकिन शहर हमेशा गंदा ही रहता है। हाई कोर्ट की ताजा फटकार के बाद एक बार फिरसे बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को गंदगी का जिम्मेदार बताते नजर आए।
देहरादून निवासी जतिन सब्बरवाल ने अपनी याचिका में कहा था कि, पिछले 10-12 दिनों से देहरादून में सड़क किनारे, मुख्य चौराहों, गली मोहल्लों में नगर निगम सफाई नहीं करा रहा है। जिससे शहर में कूड़े के ढेर लगे हैं। बीमारियों के फैलने का खतरा है। ऐसे में उम्मीद है कि कोर्ट की फटकार के बाद राजधानी की सूरत बदलेगी। वैसे त्रिवेंद्र सरकार पर प्रीतम सिंह ये आरोप भी लगा चुके हैं कि कोर्ट के निर्देशों और फैसलों के बाद ही उसकी नींद टूटती है।
–एपीएन, ब्यूरो रिपोर्ट