Congress President Election: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को संपन्न हो चुका है। दो दशक से अधिक समय के बाद कांग्रेस पार्टी ने सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए तैयार है। वह 1998 में चुनी गईं और 2017 तक और 2019 से लेकर अब तक पार्टी की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहीं। इस बार का मुकाबला सीधे-सीधे शशि थरूर और मलिकार्जुन खड़गे के बीच है। हालांकि, पहले पद की दौड़ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी थे, लेकिन चुनाव से कुछ ही दिन पहले वो रेस से बाहर हो गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले भी 13 बार गैर गांधी लोग कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं? अगर नहीं तो हम यहां बताते हैं:
गैर नेहरु-गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष
1947-48 में जेबी कृपलानी बने थे अध्यक्ष
देश की आजादी के बाद जेबी कृपलानी कांग्रेस के पहले अध्यक्ष चुने गए। उन्हें मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में यह जिम्मेदारी दी गई थी। कृपलानी ने 1948 तक अध्यक्ष पद की कमान संभाली।
1948-49 में पट्टाभि सीतारमैया
कृपलानी के बाद कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया ने संभाली। उन्होंने जयपुर कांफ्रेंस की अध्यक्षता की थी। सीतारमैया के पास भी एक साल तक पार्टी की जिम्मेदारी रही। इनके अध्यक्ष बनने से पहले की एक दिलचस्प और छोटी कहानी भी है। ये कहानी है वर्ष 1939 की।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पहली महत्वपूर्ण और परिणामी राजनीतिक लड़ाई 1939 में पट्टाभि सीतारमैया और सुभाष चंद्र बोस के बीच हुई थी। इस चुनाव में पट्टाभि सीतारमैया, महात्मा गांधी के समर्थन के बाद भी हार गए, वहीं सुभाष चंद्र बोस ने अंततः चुनाव जीता। कांग्रेस के दिग्गज नेता और भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक ‘द कोएलिशन इयर्स’ में लिखा है कि जहां पट्टाभि सीतारमैया को महात्मा गांधी का समर्थन प्राप्त था, वहीं सुभाष चंद्र बोस एक प्रतिष्ठित नेता थे और उन्हें युवाओं का समर्थन प्राप्त था। गांधी ने पट्टाभि की हार को अपना माना। सुभाष चंद्र बोस 1,580 मतों के साथ चुने गए जबकि सीतारमैया को केवल 1,377 मत मिले। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच मनमुटाव का दौर इस घटना के बाद से और बढ़ चला।
1949-50 में पुरुषोत्तम दास टंडन
हिन्दी को अधिकारिक भाषा देने की मांग करने वाले पुरुषोत्तम दास टंडन 1949-50 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। नासिक अधिवेशन की अध्यक्षता टंडन ने ही की थी।
1955-59 में यूएन ढेबर
यूएन ढेबर इस बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की थी। पूरे पांच साल जिम्मेदारी संभालने के बाद 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष चुनी गई।
नीलम संजीब रेड्डी 1960-63 में बने अध्यक्ष
तीन साल के लिए नीलम संजीव रेड्डी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभाली। उन्होंने बंगलूरु, भावनगर और पटना के अधिवेशनों की अध्यक्षता की थी। इसके बाद रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति बने थे।
1964-67 में के. कामराज हुए अध्यक्ष
इस दौरान भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के. कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष हुए। उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। कामराज ने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई अदा की थी।
एस. निजलिंगप्पा भी 1968-69 में बने थे अध्यक्ष
एस. निजलिंगप्पा ने 1968 से 1969 तक कांग्रेस की अध्यक्षता की थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
1970-71:बाबू जगजीवन
बाबू जगजीवन राम 1970-71 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
1972-74: शंकर दयाल शर्मा
शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला।
1975-77: देवकांत बरुआ
देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। यह इमरजेंसी का दौर था। देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था।
1977-78: ब्रह्मनंद रेड्डी
इस दौरान ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया। जिसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं। वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं।
पीवी नरसिम्हा राव 1991-96 में बने थे अध्यक्ष
राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। नरसिम्हा राव बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने।
1996-98 सीताराम केसरी भी बने थे अध्यक्ष
सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने। उन्होंने कोलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
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