Coal Crisis के कारण देश की बत्ती कभी भी गुल हो सकती है। कोयला संकट के कारण दिल्ली सहित देश के तमाम राज्यों की सांस अटकी पड़ी है। समस्या की गंभीरता का अंजादा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोयले संकट को दूर करने के लिए मोदी सरकार लगातार बैठकें कर रही है और किसी तरह इस समस्या का उपाय खोजने में लगी हुई है।
राज्यों ने कोयला तो लिया लेकिन उसका बकाया पैसा नहीं दिया
इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि कोयला संकट उन्हीं राज्यों की देन है जो आज बिजली की किल्लत से बचने के लिए मोदी सरकार से गुहार लगा रहे हैं। इस मामले में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि राज्यों के पास कोल इंडिया का लगभग 20 हजार करोड़ रुपये बकाया है।
इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्यप्रदेश पर बड़ी धनराशि बताये के रूप में दर्ज है। मामले में एक्शन लेते हुए कोयला मंत्रालय ने आनन-फानन में महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को पत्र लिखा है और बकाये की राशि को तुरंत अदा करने का निर्देश दिया है।
किस राज्य पर कितना है बकाया
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र पर 3176.1 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश पर 2743.1 कोरड़ रुपये, पश्चिम बंगाल पर 1958.6 करोड़ रुपये, तमिलनाडु पर 1281.7 करोड़ रुपये और राजस्थान पर 774 करोड़ रुपये का बकाया है।
इस जानकारी के सार्वजनिक होने के बाद कोयला मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों द्वारा लगभग लगभग 20 हजार करोड़ रुपये बकाया होने के कारण और कोयले का खनन न करने के कारण ही बिजली संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है।
तय मात्रा से ज्यादा भंडारण नहीं कर सकते हैं
जब मंत्रालय से पूछा गया कि आपके कोयले का स्टॉक खत्म हो गया तो आपने खदानों से और कोयले क्यों नहीं मंगवाये। इसके जवाब में कोयला मंत्रालय का कहना है कि ज्यादा कोयले के भंडारण से आग लगने का खतरा बना रहता है, इसलिए समय-समय पर तय मात्रा के अनुसार ही स्टॉक रखा जाता है।
इसके साथ ही कोयला मंत्रालय ने इस संकट के लिए सीधे-सीधे राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मंत्रालय तो राज्यों को जनवरी 2021 से ही पत्र लिखकर बिजली के लिए कोयले का स्टॉक लेने के लिए कह रहा था, लेकिन राज्यों ने उनकी चिट्ठी पर कोई एक्शन नहीं लिया।
इसके अलावा कोल इंडिया ने हजारों करोड़ रुपये बकाए होने के बावजूद राज्यों को कोयले की आपूर्ति लगातार की। कोयला संपदा से भरपूर झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल पर आरोप लगाते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा कि इन राज्यों के पास अपनी कोयले की खदाने हैं, उसके बावजूद इन राज्यों ने या तो कोयले का बहुत कम बहुत मात्रा में खनन किया या फिर नहीं किया।
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