Year Ender 2021: CJI N.V. Ramanna की टिप्पणियोें की चर्चा हो रही है। साल 2021 का अंत हो गया है। नए साल में दुनिया आ गई है। ऐसे में पुरानी यादों को टटोला जा रहा है। उन्हें संभाल कर रखा जा रहा है। इसी कड़ी में सीजेआई एनवी रमन्ना (CJI N.V Ramanna) की टिप्पणी की चर्चा हो रही है। सीजेआई ने UAPA के गलत इस्तेमाल और जजों की कमी पर टिप्पणियां की थी।
सीजेआई एनवी रमन्ना (CJI N.V Ramanna) सिर्फ कोर्टरूम में ही अपनी टिप्पणियों से अपनी सोंच सामने नहीं रखते रहे हैं। वक्त वक्त पर जस्टिस रमन्ना जब भी पब्लिक फोरम पर आए तो अहम टिप्पणियां की है। ये टिप्पणियां कई समसामयिक और गंभीर मसलों पर रहीं और सुर्खियां बनीं। इन कमेंट्स से न्यायपालिका के मुखिया के सरोकारों से भी सरकार और जनता रूबरू हुई। टिप्पणियों ने सार्थक बहस को भी जन्म दिया। यहां पर हम अब उनके कुछ अहम टिप्पणियों के बारे में बता रहे हैं।
CJI N.V. Ramanna की कुछ टिप्पणियां
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UAPA के गलत इस्तेमाल पर नाराजगी
CJI N.V. Ramanna ने UAPA के इस्तेमाल के तरीके पर आपत्ति जताई थी। त्रिपुरा में साम्प्रदायिक घटनाओं को लेकर कथित पोस्ट और भड़काऊ भाषण के आरोप में कुछ लोगों पर यूएपीए लगा दिया गया था। इस मसले पर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान CJI की बेंच ने सभी याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था।
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार को नोटिस जारी किया था और दो वकीलों और पत्रकार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था याचिका में यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत दर्ज आपराधिक मामले रद्द करने का अनुरोध किया गया था। याचिका में UAPA की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। जाहिर है कि कोर्ट अब UAPA को भी संवैधानिक कसौटी पर परखेगा।
विधायकों और सांसदों के खिलाफ मुकदमें वापस नहीं लिए जाएंगे
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सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले में सुनवाई तेज करने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई हुई थी, तो CJI N.V. Ramanna की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की सुस्त गति पर नाराजगी जाहिर की थी। CJI रमन्ना ने सख्ती से कहा था कि संबंधित राज्य को हाईकोर्ट की अनुमति के बिना सांसदों और विधायकों के खिलाफ कोई मुकदमा वापस नहीं लिया जाएगा। हालाकि कोर्ट ने ये भी कहा था कि सुनवाई में तेजी की तो बात होती है, लेकिन जजों की कमी भी तो है। लिस, जांच एजेंसी और हाईकोर्ट के रवैये पर भी सुप्रीम कोर्ट ने तल्खी दिखाई थी।
संसद में कम बहस पर चिंता
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कानून पास करने से पहले संसद में कम बहस पर चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराने के बाद चीफ जस्टिस ने सदन में होने वाली बहस की गुणवत्ता पर भी अफसोस जताया था। उन्होंने कहा था कि बिना उचित बहस के पारित कानून में स्पष्टता की कमी होती है। कानून पास करने के दौरान हुई बहस के अभाव में जज भी ठीक से समझ नहीं पाते कि कानून बनाते समय संसद की भावना क्या थी।
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा था कि लोकतंत्र में मतभेद और जवाबदेही की जरूरत है। CJI रमन्ना ने कहा था कि, “जनता के पास हर कुछ साल में शासक बदलने का अधिकार होना तानाशाही के खिलाफ कोई गारंटी नहीं है। CJI रमन्ना ने ये भी कहा था कि ‘चुनाव, रोजमर्रा के राजनीतिक विमर्श, आलोचनाएं और विरोध की आवाज लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा हैं।
सीजेआई ने साल 2021 में इसी तरह कई टिप्पणियां की थी जिसने कानून व्यवस्था में लोगों के विश्वास को बढ़ा दिया है।
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