उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच कराने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि 17 मई को लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित सरकारी स्टेट गेस्ट हाउस में आईएएस अधिकारी अनुराग का पार्थिव शरीर संदिग्ध हालत में पाया गया था। इसी घटनाक्रम को लेकर सोमवार की शाम मृतक के परिजन लखनऊ में सीएम योगी से मुलाकात करने एनेक्सी पहुंचे। मुलाकात के दौरान परिजनों ने सीएम से गुहार लगाई कि यह मामला दो राज्यों के बीच का है, जिसके चलते उन्हें इस जांच में स्थानीय पुलिस (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार) पर भरोसा नहीं है। इसलिए सीएम इस केस की छानबीन के लिए सीबीआई जांच बैठाएं। एनेक्सी से निकलने के बाद मृतक के भाई मयंक तिवारी ने मीडिया को बताया कि सीएम योगी ने सीबीआई जांच का आश्वासन दिया है। बता दें कि अनुराग की रहस्यमय मौत के पीछे मृतक के परिजनों के अलावा कई ऐसे लोग हैं जो इसपर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं? अनुराग की मौत पर इतने सारे सवाल व आशंका पैदा हो रही है कि योगी सरकार को भी इसे सुलझाने के लिए शायद केंद्रीय एजेंसी की मदद लेनी पड़ सकती है।
डेवलपमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन पर उठते सवाल
अनुराग की मौत से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसके बाद शासन-प्रशासन के अंदर सनसनी मच गई है। खबर के मुताबिक फुटेज में 16 मई की शाम 10 बजकर 10 मिनट पर लखनऊ के आर्यन रेस्तराँ में आईएएस अनुराग तिवारी और डेवलपमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन प्रभु नारायण सिंह एक साथ डिनर कर बाहर निकलते हुए दिखाई दिए रहे हैं, और गेस्ट हाउस में भी वह इन्ही के साथ रुके हुए थे लेकिन अगले दिन अनुराग को गेस्ट हाउस में मृत पाया गया था।
अनुराग के पोस्टमार्टम पर उठा सवाल
मृतक आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी के भाई मयंक ने डॉक्टरों पर आरोप लगाया है कि पोस्टमार्टम रुम में पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टरों की टीम के अलावा एक संदिग्ध वहां उपस्थित रहा जो कि डॉक्टरों से कुछ बात कर रहा था। इस दौरान डॉक्टरों ने भी उस पांचवें व्यक्ति के पोस्टमॉर्टम रुम में मौजूद होने पर आपत्ति जताई थी और इस बीच दोनों में आपसी बहस भी हुई थी। परिजनों ने भी इसका विरोध करते हुए कहा,‘अगर पैनल में वह पांचवा व्यक्ति नहीं है, तो पोस्टमॉर्टम के दौरान वह मौजूद क्यों है? परिजनों के मुताबिक वह उसका नाम तो नहीं जान पाए लेकिन उसका सरनेम खान बताया गया है।‘ मयंक का यह भी दावा है कि इसके बाद अचानक से पोस्टमॉर्टम के दौरान परिस्थितियां संदिग्ध हो गई। पैनल में शामिल दो डॉक्टर आपस में बात कर रहे थे कि,‘हमें सिर्फ औपचारिकता करनी है, इस पोस्टमॉर्टम को जल्दी निपटाओ, यह हत्या है।‘ इसके बावजूद रिपोर्ट में डॉक्टरों ने वैसा कुछ नहीं लिखा है।