Buddhadeb Bhattacharjee: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्जी ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका नाम पद्म भूषण (Padma Bhushan) के लिए चयनित किया गया था और अगर ऐसा होता तो वे इसे अस्वीकार कर देते। यह एक अत्यंत दुर्लभ उदाहरण है जब भारत के शीर्ष नागरिक सम्मानों में से एक को प्राप्तकर्ता ने ठुकरा दिया। उन्होंने बंगाली में एक संक्षिप्त बयान में कहा कि मैं पद्म भूषण पुरस्कार के बारे में कुछ नहीं जानता। किसी ने मुझे इसके बारे में कुछ नहीं बताया। अगर वास्तव में उन्होंने मुझे पद्म भूषण पुरस्कार दिया है, तो मैं इसे अस्वीकार कर रहा हूं।
Buddhadeb Bhattacharjee को गृह मंत्रालय ने दी थी जानकारी
केंद्र सरकार के अनुसार, केंद्रीय गृह सचिव ने 25 जनवरी सुबह श्री भट्टाचार्य की पत्नी से पुरस्कार के बारे में बात की थी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने उनकी पत्नी के बारे में बताते हुए कहा कि उसने पुरस्कार स्वीकार कर लिया और धन्यवाद कहा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कट्टर आलोचक, 77 वर्षीय, बुद्धदेब भट्टाचार्जी काफी समय से दिल और फेफड़ों की स्थिति के साथ-साथ उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं और सार्वजनिक रूप से खुद को काफी हद तक राजनीति से दूर रखा है।
Buddhadeb Bhattacharjee से पहले इन्होंने लौटाए थे पुरस्कार
गौरतलब है कि फिल्म लेखक सलीम खान ने कहा था कि उन्होंने 2015 में पद्म श्री लेने से इनकार कर दिया था। उनसे पहले, इतिहासकार रोमिला थापर ने 2005 में पद्म भूषण से इनकार कर दिया था, 1984 में भारतीय सेना द्वारा स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी पर अपना 1974 का पुरस्कार लौटा दिया था। लेखक खुशवंत सिंह ने भी 1984 में अपना 1974 का पद्म भूषण लौटा दिया था, लेकिन उन्होंने 2007 में पद्म विभूषण स्वीकार कर लिया।
बता दें कि आजीवन मार्क्सवादी भट्टाचार्जी इस वर्ष पद्म पुरस्कारों के लिए नामित दो प्रमुख विपक्षी हस्तियों में से दूसरे थे। कांग्रेस में विरोध का स्वर बुलंद कर रहे गुलाम नवी आजद को पद्म पुरस्कार दिया गया है। अब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आजाद पर कटाक्ष किया और भट्टाचार्जी की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि सही काम किया। वह गुलाम (गुलाम) नहीं, आजाद (स्वतंत्र) बनना चाहते हैं।
प्रख्यात गायिका संध्या मुखोपाध्याय ने भी पद्मश्री ठुकराया
गौरतलब है कि बुद्धदेब भट्टाचार्जी के बाद बांग्ला की प्रख्यात गायिका संध्या मुखोपाध्याय ने भी पद्मश्री ठुकरा दिया है। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने जब गायिका को फोन लगाया तो उनकी बेटी से इस दौरान बात हुई थी। अधिकारियों की तरफ से गायिका को सम्मान के लिए उनकी सहमति की खातिर उनसे टेलीफोन पर संपर्क किया गया था। ऐसे में गायिका की बेटी सौमी सेनगुप्ता ने फोन पर कहा कि मुखर्जी गणतंत्र दिवस सम्मान सूची में पद्मश्री के लिए नामित होने को तैयार नहीं हैं। उनकी सहमति के लिए उनसे संपर्क किया गया था।
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