सपा और बसपा दो ऐसे छोर जो शायद ही आपस में कभी मिल पाएं। लेकिन दोनों के आपसी मतभेद में अगर बीजेपी ने सेंधमारी कर दी है तो ये दोनों के लिए काफी नुकसानदायक है। जायज है, विरोधी का विरोधी दोस्त होता है, शायद दोनों का मिलन इसी कहावत को चरितार्थ कर रहा है। हालांकि, बीएसपी प्रमुख मायावती ने प्रत्यक्ष रूप से यह नहीं कहा है कि वो सपा का साथ देंगी। लेकिन उन्होंने बीच का रास्ता अपनाते हुए यह जरूर कह दिया है कि जिस भी पार्टी का उम्मीदवार बीजेपी के उम्मीदवार को हराने में सक्षम होगा, बसपा के कार्यकर्ता भी उन्हीं का साथ देंगे। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि यूपी के सियासत में 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोनों आपस में मिलकर भगवा झंडा उखाड़ेगें।
मायावती ने कहा, ‘मैं स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि बीएसपी का किसी भी राजनीतिक दल से कोई गठबंधन नहीं हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन की बात झूठ और आधारहीन है।’ बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हमने कोई प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। हमारी पार्टी के कार्यकर्ता बीजेपी प्रत्याशी को हराने की कोशिश करेंगे। मायावती ने ये भी कहा कि यूपी में हाल ही में राज्यसभा और विधान परिषद में होने वाले चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए सपा और बसपा के द्वारा एक दूसरे को वोट ट्रांसफर कर दिया जाता है तो ये कोई चुनावी गठबंधन नहीं है।
मायवती ने कहा कि बसपा ने कर्नाटक के अलावा अन्य किसी भी प्रदेश में किसी भी पार्टी के साथ समझौता या गठबंधन नहीं किया है। पिछले दो तीन दिन से मीडिया में खबरें प्रचारित की जा रही हैं कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा का गठबंधन हो गया है या होने वाला है, जो गलत है। ऐसे में यह पक्का हो गया है कि अगर सपा उम्मीदवार बीजेपी के उम्मीदवार को हराने में सक्षम हुआ तो बसपा भी उसका साथ देगी। अब देखना ये है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले क्या दोनों ही दल खुलकर एकसाथ आएंगे?