आजादी की लड़ाई हो या किसान आंदोलन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश केंद्र में रहा है। 1857 की क्रांति जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी माना जाता है। उसका बिगुल भी मेरठ से ही फूंका गया था। जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के आंदोलन की अगुआई का श्रेय भी पश्चिमी यूपी को जाता है। बदलते सियासी माहौल में भी पश्चिमी यूपी की अहमियत बढ़ गई है ऐसे में भला यूपी को साधने सियासी कोशिशें क्यों न हो। बीजेपी भी कुछ ऐसे ही मंसूबे के साथ 11 और 12 अगस्त को मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक करने जा रही है।
मेरठ के सुभारति विश्वविद्यालय के इसी ऑडिटोरियम में प्रदेश बीजेपी कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक हो रही है। केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी नेता राजनाथ सिंह प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का उद्घाटन करेंगे तो बैठक के आखिरी दिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समापन। बैठक में प्रदेश पार्टी संगठन के जिलाध्यक्ष से लेकर यूपी के विधायक, सांसद, केंद्र और राज्य के मंत्री भी शिरकत करेंगे।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो दोनों ही दिन बैठक में हिस्सा लेंगे। दो दिन की बैठक में मोदी को एक बार फिर देश का पीएम बनाने और सरकार के कार्यों को जन जन तक पहुंचाने की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। जैसा की हमने पहले ही बताया है कि भारतीय राजनीति में पश्चिमी उत्तर प्रदेश शुरू से ही अहम भूमिका में रहा है। गत कुछ वर्षों में यहां दो समुदायों के बीच वोटों का ध्रुवीकरण भी हुआ है।
मोदी सरकार तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों को हवादेकर भी इस क्षेत्र की सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। ऐसे में भला प्रदेश बीजेपी के सामने बैठक के लिए इससे मुफीद जगह क्या हो सकती है। प्रदेश बीजेपी के नेता भी इसे मानते हैं। लेकिन कुछ दूसरी दलीलों के साथ। दो दिनों तक पार्टी के प्रदेश संगठन के विभिन्न पदाधिकारियों के साथ पार्टी के आला नेताओं का चिंतन मंथन तो चलेगा ही। बैठक के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के यूपी के सभी सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के साथ अलग से बैठक भी करेंगे। सियासी गलियारों में ये कहावत है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से जाता है। अब राजनीतिक के आधुनिक चाणक्य कहे जा रहे अमित शाह से बेहतर भला इसे कौन समझ सकता है।