Birsa Munda Jayanti: आज पूरा देश भगवान बिरसा मुंडा (Birsa Munda) को याद कर रहा है। आज उनकी जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मध्यप्रदेश में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आज हिस्सा लेंगे। सरकार की तरफ से उनके जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री (Prime minister) ने ट्वीट कर कहा है कि भगवान बिरसा मुंडा जी को उनकी जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। वे स्वतंत्रता आंदोलन को तेज धार देने के साथ-साथ आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए सदैव संघर्षरत रहे। देश के लिए उनका योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा।
क्यों कहा जाता है भगवान Birsa Munda?
बिरसा का जन्म झारखंड के अड़की प्रखंड अंतर्गत ग्राम उलीहातु में 15 नवंबर 1875 को हुआ था। इसके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी था। बिरसा के पूर्वज चुटू मुंडा और नागू मुंडा थे। वे पूर्ती गोत्र के थे। वे रांची के उपनगर चुटिया में रहा करते थे। कहा जाता है कि इन दो भाईयों के नाम से इस क्षेत्र का नाम छोटानागपुर पड़ा।
बिरसा का आन्दोलन सुधारवादी सिद्धांतों के आधार पर चल रहा था। किन्तु उनके आन्दोलन में भीतर ही भीतर ईसाई मिशनरियों के विरूद्ध विरोध का स्वर था। क्योंकि बिरसा की ईसाई धर्म विरोधी रूख पर मिशनरी के अधिकारी क्षुब्ध थे। बिरसा आन्दोलन धीरे – धीरे स्वतंत्र जन आन्दोलन के रूप में भी विकसित हो रहा था। उन्हीं के प्रभाव के कारण आन्दोलनकारी सरदार के रूप में बिरसा मुंडा उभर कर सामने आए थे। आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिए किए गए उनके प्रयासों के कारण लोग उन्हें भगवान मानने लगे।
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