कानपुर के बिकरू गांव में सीओ समेत 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में ढेर हो गया.. यूपी STF की टीम उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रही थी.. लेकिन शहर पहुंचने से 17 किलोमीटर पहले.. बर्रा थाना क्षेत्र में भौती हाइवे  पर काफिले की एक कार पलट गई.. हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे उसी गाड़ी में बैठा था.. पुलिस के अनुसार, विकास ने गाड़ी पलटने के बाद भागने की कोशिश की.. उसने पुलिस से पिस्टल छीनकर हमला कर दिया.. जवाबी कार्रवाई में विकास गंभीर रूप से जख्मी हो गया.. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया.. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस के साथ मुठभेड़ में गैंगस्टर विकास दुबे को सीने में तीन और हाथ में एक गोली लगी.. इस पूरी घटना में चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.. विकास के शव से कोरोना की जांच के लिए सैंपल भी लिए गए.. गैंगस्टर विकास दुबे मध्य प्रदेश के महाकालेश्वर मंदिर से पकड़ा गया था.. मध्य प्रदेश पुलिस ने विकास को यूपी STF के हवाले किया था.. पुलिस टीम उसे लेकर कानपुर आ रही थी.. इसी दौरान STF की एक गाड़ी पलट गई..

हिस्ट्रीशीटर और दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के अंत से.. आठ पुलिसकर्मियों के परिवारवालों को चैन जरूर मिला होगा.. लेकिन, इस एनकाउंटर के बाद पुलिस की पूरी कार्रवाई पर कुछ बेचैन करने वाले सवाल भी उठ रहे हैं…मसलन, कानपुर की सीमा में आने के बाद STF के काफिले की गाड़ी कैसे और किन हालात में पलटी.. क्या लगातार भागने वाला विकास दुबे इस हालत में था कि उसने दुर्घटना होते ही पुलिस के हथियार छीन लिए.. एक सवाल ये भी है कि, क्या STF ने विकास दुबे को लाते समय जरूरी सावधानी नहीं बरती.. जो उसने इतनी सुरक्षा के बाद भी पुलिस से भिड़ने की हिम्मत जुटाई.. क्या विकास को इस बात का अंदेशा हो गया था, कि पुलिस उसका एनकाउंटर कर सकती है.. लिहाजा, उसने मौका देखकर भागने की कोशिश की..

सवाल ये भी है कि, जिस विकास दुबे ने खुद उज्जैन में चिल्ला चिल्लाकर मीडिया के सामने गिरफ्तारी दी थी.. अचानक उसका मन कैसे बदल गया.. 24 घंटे पहले हुए प्रभात एनकाउंटर में पुलिस की गाड़ी पंचर हो गई थी.. जबकि, विकास के मामले में गाड़ी पलट गई.. क्या ये महज संयोग है.. सबसे बड़ा सवाल ये है कि, क्या विकास को हथकड़ी नहीं लगाई गई थी, या नहीं.. अगर लगाई गई थी तो वो भागा कैसे, और अगर हथकड़ी नहीं लगी थी, तो ऐसी गलती कैसे हुई.. सबसे बड़ा सवाल ये है कि,क्या मुठभेड़ में सीने पर गोली मारी जाती है। सरकार के विपक्षियों ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया की जो गाड़ियां STF के काफिले के पीछे चल रही थीं.. उन्हें भी घटनास्थल से कई किलोमीटर पहले ही अचानक रोक दिया गया.. इसके कुछ देर बाद ही विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने की खबर आई…

बहरहाल विकास दूबे अब अपनी सफाई देने के लिए इस दुनिया में नहीं। पुलिस पर सवाल तो उठते रहे हैं और उठाए जाते रहेंगे। इस पूरे प्रकरण से उनको सीख लेनी चाहिए जो अपराध की दुनिया में चमकना चाहते हैं। अपराध हो या अपराधी उसका खात्मा होना ही है देर से ही सही पर होना निश्चित है।