Biggest Train Accident: ओडिशा के बालासोर जिले के बहानागा रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार (2जून) को एक बेहद दर्दनाक रेल हादसा हुआ। इस हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस समेत तीन ट्रेनें आपस में टकरा गईं। जिसमें अबतक 288 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं और घायलों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है।
इस रेल हादसे ने 42 साल पहले हुए एक हादसे की यादें ताजा कर दी हैं। तारीख थी 6 जून, जब बिहार में ट्रेन की सात बोगियां एक पुल तोड़कर नदी में जा गिरी थीं। इस रेल हादसे ने भारतीय रेल के 170 साल के इतिहास में एक ऐसे ब्लैक स्पॉट की तरह अपनी जगह बना ली है, जिसे चाहकर भी नहीं मिटाया जा सकता…

Biggest Train Accident: 6 जून 1981 का वो मंजर
यूं तो देश में आजतक कई ट्रेन हादसे हुए लेकिन हाल के दिनों में इतना बड़ा हादसा शायद ही किसी ने देखा हो। आज से 42 साल पहले बिहार में एक ट्रेन हादसा हुआ था, जब सात बोगियां एक पुल तोड़कर बागमती नदी में समा गई थी। भारतीय रेलवे के इतिहास में इसे एक ब्लैक स्पॉट के रुप में याद किया जाता है।
6 जून 1981 की शाम को 9 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन (416DN) मानसी से सहरसा जा रही थी। बागमती नदी के पुल संख्या 51 से ट्रेन आगे बढ़ रही थी लेकिन ट्रेन लहराकर बागमती नदी में गिर गई। इस घटना में मरने वालों की संख्या में महिलाएं और बच्चे ज्यादा थे। मीडिया रिपोर्टस् बताती हैं कि जिन लोगों की मौत हुई थी उसमें ज्यादातर लोगों को तैरना नहीं आता था। जो लोग बच गए वो जब उस मंजर के बारे में बताते हैं तो रूह कांप जाती है। वहीं, कुछ लोग साफ तौर पर इसमें ड्राइवर की लापरवाही बताते हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि जिस तरह की परिस्थिति थी उसमें हादसे को टालना नामुमकिन था।
गौरतलब है कि खगड़िया से सहरसा के बीच यही एक मात्र ट्रेन चलती थी। इससे आप इस ट्रेन की अहमियत और भीड़ का अंदाजा लगा सकते हैं। ट्रेन में पैर रखने की जगह नहीं थी। इंजन तक पर लोग बैठे थे। ट्रेन की छत पर लोग खड़े थे। मतलब भेड़-बकरियों की तरह लोग ठूंसे थे।

इस हादसे में ड्राइवर की कितनी गलती थी?
कहते हैं कि इस हादसे में लोगों को बचने का कोई मौका नहीं मिल पाया था। शवों की बात करें तो वे कई दिनों तक रेल के डिब्बों में फंसे रहे थे। इसे भारत की सबसे बड़ी रेल दुर्घटनाओं में गिना जाता है। हालांकि, ट्रेन के ड्राइवर ने अचानक ब्रेक क्यों लगाया, इसकी कोई पुख्ता वजह सामने नहीं सकी थी। दरअसल, इसपर कई थ्योरी अस्तित्व में है। एक थ्योरी ये है कि रेलवे ट्रैक पर अचानक भैसों का झुंड आ गया था, उन्हीं को बचाने के लिए ड्राइवर ने ब्रेक लगाया था। वहीं, दूसरी थ्योरी है कि तेज बारिश और आंधी के कारण ट्रेन के डिब्बों की सभी खिड़कियां लोगों ने बंद कर ली थीं। तूफान तेज होने की वजह से पूरा दबाव ट्रेन पर पड़ा और डिब्बे नदी में समा गए।
यह भी पढ़ें: