Swami Swaroopanand Sarswati: ज्योतिर पीठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को मध्य प्रदेश में निधन हो गया था। निधन के बाद अब उनके उत्तराधिकारी के बारे में चर्चा हो रही है। आपको बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों की घोषणा (Successors of Swami Swaroopanand Sarswati) कर दी गई है। उनके निधन के दूसरे ही दिन यानी सोमवार को ज्योतिर मठ एवं शारदा पीठ के लिए दो नए शंकराचार्य बनाए गए हैं।

Swami Swaroopanand Sarswati: समाधि से पहले होती है उत्तराधिकारी की घोषणा
मिली जानकारी के अनुसार, गुरु की समाधि से पहले उनके उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी जाती है। यह प्रक्रिया शंकराचार्य परंपरा के अधीन होती है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो पीठों के शंकराचार्य थे। अब उनके निधन के बाद दोनों पीठों के लिए अलग-अलग दो नए शंकराचार्य घोषित किए गए हैं। ज्योतिर पीठ के लिए अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती तो शारदा पीठ के लिए सदानंद सरस्वती का नाम शंकराचार्य के लिए घोषित किया गया है। इनके नामों की घोषणा निजी सचिव ने ‘विल’ को पढ़कर की।
एमपी के नरसिंहपुर में ली थी आखिरी सांस
ज्योतिर पीठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया था। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली। वे यहां गंगा आश्रम झोतेश्वर में रहते थे। वे गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और 1982 में बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने। जगतगुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने हरियाली तीज के दिन अपना 99वां जन्मोत्सव मनाया। उनका जन्म सिवनी जिले के जबलपुर के निकट दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 9 साल की उम्र में घर छोड़कर उन्होंने हिंदू धर्म को समझने और उत्थान के लिए धर्म की यात्रा शुरू की। एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वरूपानंद सरस्वती ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचने के बाद स्वामी करपात्री महाराज से वेद और शास्त्र सीखे।
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