Amit Shah: अमित शाह का देश की मौजूदा राजनीति में कद कितना ऊंचा है, इसको लेकर शायद ही दोराय हो। शाह इस समय देश के गृह मंत्री हैं और 2019 से यह पद संभाले हुए हैं। उनकी राजनीति को एक तरह से मोदी की राजनीति के इर्द गिर्द माना जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि शाह, पीएम मोदी से बतौर बीजेपी सदस्य एक साल सीनियर हैं।
अमित शाह की राजनीति की बात की जाए तो उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरूआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। 1983 में वे एबीवीपी से जुड़े, संगठन के लिए चार साल तक काम करते रहे और इसके बाद वे साल 1987 में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन गए। दिलचस्प बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1988 में पार्टी की सदस्यता ली यानी अमित शाह से एक साल बाद। गौरतलब है कि अमित शाह शुरू से ही अपने चुनावी प्रंबधन के लिए जाने जाते थे। 1991 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के लिए गांधी नगर सीट से चुनावी प्रबंधन संभाला था।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी कोई आज की नहीं है बल्कि दोनों नेताओं का नाता काफी पुराना रहा है। साल 1995 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए। उस समय कांग्रेस को गुजरात के गांवों से उखाड़ने में मोदी-शाह की जोड़ी का अहम किरदार था। इसका नतीजा ही था कि गुजरात में भगवा पार्टी ने परचम लहराया था।
Amit Shah: सियासत, अर्थ और खेल हर मोर्चे पर माहिर हैं अमित शाह
Amit Shah: साल 1999, आते-आते शाह अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बन गए। इस बैंक के लिए शाह का चुना जाना उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि रही। अमित शाह ने जैसे ही बैंक का काम संभाला, संस्था मुनाफे में आ गयी। कहीं न कहीं शाह के इस पद पर होने से बीजेपी को गुजरात में बहुत लाभ हुआ। इसके अलावा अमित शाह गुजरात स्टेट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। यही नहीं, अमित शाह गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही साथ उन्होंने गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन की कमान भी संभाली हुई है। यानी सियासत, अर्थ और खेल हर मोर्चे पर अमित शाह माहिर हैं।
साल 1997 में अमित शाह ने विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की और वे विधायक बन गए। यही नहीं अगले साल भी वे विधायक सीट बचाए रखने में कामयाब रहे। ऐसा माना जाता है कि जब नरेंद्र मोदी को गुजरात की राजनीति से दूर कर दिल्ली बुला लिया गया तो वे उस समय गुजरात में मोदी के सबसे विश्वासपात्र थे।
साल 2001 में मोदी गुजरात के सीएम बने तो अमित शाह के करियर का ग्राफ भी तेजी से बढ़ने लगा। चाहे 2002 हो या 2007 अमित शाह ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की। 2002 चुनाव में जीत के बाद अमित शाह को मोदी कैबिनेट में कई अहम जिम्मेदारियां मिली थीं।
साल 2010 में अमित शाह को सोहराबुद्दीन केस में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद शाह की राजनीति को तगड़ा झटका लगा। हालांकि तीन महीने कैद में रहने के बाद शाह को जमानत मिल गयी। अमित शाह के लिए ये सबसे खराब वक्त था, क्योंकि उनको उनके गृह राज्य से तड़ीपार कर दिया गया था। वे 2012 तक गुजरात से बाहर रहे। गुजरात लौटने पर अमित शाह ने विधानसभा चुनाव लड़ा और वे जीते।
फिर क्या था, नरेंद्र मोदी का केंद्र की राजनीति में आना शाह के लिए भी कामयाबी की सीढ़ी बना। नरेंद्र मोदी जिस समय प्रधानमंत्री पद की रेस में थे, उस समय अमित शाह ने यूपी जैसे बड़े सूबे से 80 में से 73 सीटें जितवाकर मोदी के हाथ मजबूत किए और उन्हें प्रधानमंत्री बनवाया। इसका उन्हें इनाम मिला और वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। साल 2019 तक वे पार्टी के अध्यक्ष रहे। अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष रहते पार्टी ने कई राज्यों में जीत दर्ज की और फिर से 2019 का आम चुनाव जीता। अब बारी थी, सत्ता का हिस्सा होने की। 30 मई 2019 को अमित शाह ने देश के गृह मंत्री के रूप में शपथ ली।
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