Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानून की अधूरी किताब छापने पर हिंद पब्लिशिंग हाउस एमजी मार्ग प्रयागराज को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा ऐसे गलत प्रकाशन वकीलों और कोर्ट को गुमराह कर गलत आदेश करा सकते हैं। इस बाबत कोर्ट ने सफाई मांगी है। नोटिस पर 4 मई को सुनवाई होगी।
दूसरी तरफ एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार मृतक आश्रित सेवा नियमावली की भाषा के संशोधन करने कर विचार करे।
कोर्ट ने कनिष्ठ लिपिक पद पर मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त याची के दो बार टाइप टेस्ट में फेल होने के कारण सेवा समाप्ति को सही नहीं माना और आदेश दिया। कहा कि चतुर्थ श्रेणी पद पर चार माह में विचार कर नियुक्ति की जाए।

Allahabad High Court: आदेश को रद्द किया
Allahabad high court की खंडपीठ ने एकलपीठ की याचिका खारिज करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि नियमावली में आश्रित कोटे में लिपिक पद पर नियुक्त व्यक्ति के टाइप टेस्ट में फेल होने पर नीचे के पद पर वापस करने का नियम नहीं है। इसलिए याची को चतुर्थ श्रेणी पद पर नए सिरे से नियुक्ति पर विचार किया जाए।
नियमावली का उद्देश्य मृतक आश्रित परिवार को सरकारी सेवक मुखिया की मौत से अचानक आए आर्थिक संकट से उबारना है। लिपिक पद पर टेस्ट में फेल होने से सेवा समाप्ति से परिवार पुनः आर्थिक संकट में फंस जाएगा।
जिससे आश्रित कोटे में नियुक्ति की नियमावली अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर सकेगी। ये आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने विमल कुमार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
Allahabad High Court: अपील पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने रखा पक्ष

मालूम हो कि याची के पिता की सरकारी नौकरी में सेवारत रहते हुए मौत हो गई। याची को तृतीय श्रेणी पद की नियुक्ति योग्यता रखने के कारण कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति दी गई।
शर्त यह कि उसे टाइप टेस्ट पास करना होगा। इसके लिए दो मौके मिलेंगे। दो साल में टेस्ट पास नहीं हुआ तो सेवा समाप्त कर दी जाएगी। याची दो मौका मिलने के बावजूद टेस्ट पास नहीं कर सका तो उसे हटा दिया गया। उसने कहा कि उसे चपरासी नियुक्त कर लिया जाए, सुनवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी। जिसमें अपील कर चुनौती दी गई थी। Allahabad High Court ने कहा कि याची को चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति पर विचार किया जाए।
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