Allahabad HC: कोर्ट ने100 किलो चरस तस्करी के आरोपियों की सजा में कमी का दिया आदेश

Allahabad HC:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध की सजा एक सामाजिक विधिक प्रक्रिया है। देश में दंडादेश की कोई नीति निर्धारित नहीं की गई है।

0
278
31AHC

Allahabad HC:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध की सजा एक सामाजिक विधिक प्रक्रिया है। देश में दंडादेश की कोई नीति निर्धारित नहीं की गई है। न्यायाधीश तथ्यात्मक परिस्थितियों के तहत सजा के औचित्य पर विचार कर विवेक का सैद्धांतिक प्रयोग करते हुए उचित दंड तलाशता है। अपराध की तुलना में दंड दिया जाता है।

कोर्ट ने व्यावसायिक यात्रा से 99 फीसदी अधिक एक क्विंटल चरस की तस्करी के आरोपियों द्वारा जेल में बिताए 13 साल की कैद को पर्याप्त माना और 15 और 18 साल की सजा को 13 साल की सजा में परिवर्तित कर दिया है।यह फैसला न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कानपुर नगर के यशपाल सिंह यादव व संजय कुमार विश्वकर्मा की सजा के खिलाफ अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।

charas

Allahabad HC: जुर्माना घटाकर एक-एक लाख रुपये किया

इसके साथ ही 3 और 4 लाख के जुर्माने को घटाकर एक-एक लाख रुपये कर दिया है। जुर्माना न भरने पर एक साल की सजा भुगतनी होगी। कोर्ट ने कहा कि जिस पिकअप में चरस बरामद की गई उसके मालिक को केवल मालिक होने के कारण अधिक सजा देना उचित नहीं है।

दोनों को समान रूप से सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट ने अपना फैसला हिंदी भाषा में लिखा है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और मालीमथ समिति व माधव मेनन समिति की सजा की नीति को दाखिल रिपोर्ट पर भी विचार किया गया।
पिकअप वैन से करीब 100 किलो चरस बरामद हुई थी। जिसमें दोनों आरोपियों पर केस चला।

अधीनस्थ कोर्ट ने यशपाल को 15 साल कैद, 3 लाख रुपये जुर्माना और इसका भुगतान न करने पर दो साल अतिरिक्त कैद तथा संजय को 18 साल की कैद, 4 लाख रुपये जुर्माना और जुर्माना न‌ देने पर तीन साल अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। कोर्ट ने 13 साल जेल में बिताने को ही सजा करार दी है।

Allahabad HC: हत्यारोपी की जमानत मंजूर, रिहाई का निर्देश

Allahabad HC
Allahabad HC

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा में 6 फरवरी 19 से जेल में बंद राजेश कुमार सिंह की जमानत मंजूर कर ली है। व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है। अधीनस्थ अदालत ने हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई है।जिसके खिलाफ अपील दाखिल की गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सीके राय की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता दया शंकर मिश्र की दलीलों को सुनकर दिया है।

साले ने लगाया हत्‍या का आरोप
मालूम हो कि याची के खिलाफ चंदौली के चकिया थाने में धारा 302 व 506 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई। उनका कहना है कि उसकी शादी घटना से छह साल पहले रीता सिंह से हुई थी। वह मध्य प्रदेश के निगाही में प्राइवेट कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करता था।

आरोप है कि अपीलार्थी के एक महिला से अवैध संबंध थे। जिससे परेशान होकर उसकी पत्नी ने 20 फरवरी 2004 को खुदकुशी कर ली। 21फरवरी को मृतका के भाई ने हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। उसके भाई ने आरोप लगाया कि उसकी बहन की मारपीट कर हत्या कर दी गई है।

अपीलार्थी के वरिष्ठ अधिवक्ता मिश्र का कहना था कि प्रत्यक्ष रूप से याची द्वारा हत्या करने का साक्ष्य नहीं है। कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। परिस्थितियों के आधार पर सजा सुनाई गई है।पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के शरीर में चोट नहीं मिली। Allahabad high court का कहना था कि बिना ठोस आधार के सजा सुनाई गई है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने जमानत अर्जी मंजूर कर जुर्माने पर रोक लगा दी है।

विस्‍तृत चुनाव परिणाम के लिए यहां क्लिक करें। ताजा खबरों के लिए हमारे साथ Facebook और Twitter पर जुड़ें।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here