अफगानिस्तान संकट पर भारत की नजर बनी हुई है। सरकार हर पल की खबर ले रही है। कई सर्वदलीय बैठक भी हो चुकी है। अब एक बार फिर 26 अगस्त को यानी की आज पीएम मोदी सर्वदलीय बैठक करने वाले हैं। यह बैठक सुबह 11 बजे होने वाली है। इसमें अफगानिस्तान संकट पर विस्तार में चर्चा होगी।
गुरुवार सुबह 11 बजे होने वाली बैठक में सभी फ्लोर लीडर्स हिस्सा लेंगे जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा अफगानिस्तान की स्थिति की जानकारी दी जाएगी। शंकर बैठक में बताएंगे की तालिबानी देश से कितने नागरिकों को भारत लाया गया, रेस्क्यू मिशन पर क्या खास काम हो रहा है, भारत में अब तक कितने अफगानी नागिरक आ चुके हैं, तालिबान को लेकर केंद्र का क्या रुख होगा इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी।
इस बैठक में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन, मीनाक्षी लेखी, केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल भी मौजूद रहेंगे। अलग-अलग पार्टियों के फ्लोर लीडर्स मीटिंग में शामिल होंगे।
अफगानिस्तान में भारत का बड़ा निवेश है। भारत वहां का रणनीतिकार साथी भी है। ऐसे में तालिबान का राज होना भारत के लिए चिंता का विषय है यही कारण है कि भारत सरकार लगातार बैठक कर रही है। केंद्र सरकार की क्या रणनीति होगी इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान के राज पर केंद्र सरकार ने कोई भी अधिकारिक बयान नहीं पेश किया है। सरकार अभी अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने की कोशिश कर रही है। 500 से अधिक लोगों को निकाला गया है।
बता दें, कुछ समय पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि, अफगानिस्तान संकट पर भारत की नजर है। हर मुद्दे पर चर्चा जारी है। तालिबान के साथ संबंध पर जब सवाल किया गया था तो शंकर ने कहा था कि, हमारा पूरी तरह से फोकस वहां पर फंसे भारतीय नागरिकों पर है।
अफगानिस्तान मुद्दे पर केंद्र सरकार को विपक्ष ने आड़े हाथ लिया है। विपक्ष ने हंगामा करते हुए कहा था कि, अफगानिस्तान संकट पर भारत सरकार अपना रुख साफ करे। लेकिन केंद्र की तरफ से अभी तक कोई भी बयान सामने नहीं आया है।
अफगानिस्तान भारत के लिए काफी अहम है। यहां पर सैकड़ों परियोजनाओं में भारत का अरबों रुपये इनवेस्ट हुआ है। इसके अलावा सामरिक और क्षेत्रीय स्थिति के अनुसार भी अफगानिस्तान का काफी महत्व है। ऐसे में भारत इस विषय पर सोच-समझ कर कदम उठा रहा है।
बता दें कि 15 अगस्त के दिन तालिबान ने देश की राजधानी और सबसे बड़ी आबादी वाले शहर काबुल पर कब्जा कर लिया। तालिबान का खौफ देख कर अफगानी सेना ने हार मान ली और सफेद पोशाक में तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शांतिपूर्वक सत्ता को आतंकियों के हाथ में सौंप दिया और रातों रात गनी ने देश छोड़कर ताजिकिस्तान में अपना ठिकाना बना लिया। गनी के साथ उनके कई करीबी भी देश छोड़कर जा चुके हैं।
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