जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन सफाया चल रहा है। केंद्र की मोदी सरकार साल 2014 से ही वहां पर आतंकियों को चुन चुनकर मौत के घाट उतार रही है। सरकार उन्हें भी निशाना बना रही है जो वेतन तो सरकार से वसूलते हैं और काम आंतकियों के लिए करते हैं। हालिया मामला ऐसे 11 लोगों का है जो सरकारी नौकरी करते हैं। वेतन भारत सरकार से लेते हैं लेकिन काम आतंकियों के लिए करते हैं। इन सभी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। सभी पर टेरर फंडिंग का आरोप है। इसमें आतंकी सलाउद्दीन के दोनों बेटे शामिल हैं।

जांच एजेंसियों ने ऐसे देशद्रोहियों का पता लगाया है जो सरकारी नौकर करते थे। इन सभी पर मुकदमा दर्ज कर तत्काल रूप से बर्खास्त कर दिया गया है। इस खबर को पढ़ने के बाद एक ही बात कही जा सकती है, जम्मू कश्मीर में आतंकियों के बूरे दिन आगए हैं।

बर्खास्त किए गए 11 कर्मचारियों में से 4 अनंतनाग, 3 बडगाम, 1-1 बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा से हैं। इनमें से 4 शिक्षा विभाग में, 2 जम्मू-कश्मीर पुलिस में और 01-01 कृषि, कौशल विकास, बिजली, शेरे कश्मीर अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग में तैनात थे।

अहम खबर तो यह है कि टेरर फंडिंग मामले में आतंकी सरगना सैयद सलाउद्दीन के दोनों बेटों को भी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। शकील अहमद श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में काम करता था वहीं शाहिद युसूफ श्रीनगर में कृषि विभाग में काम करता था।

सरकारी मूलाजिम की आड़ में ये लोग देश को ही तबाह करने की साजिश रचते थे। खबर बाहर आते ही जांच एजेंसियों के हाथ पैर फूल गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार , कुपवाड़ा में तैनात एक कर्मचारी लश्कर-ए-तैयबा को सुरक्षाबलों के मूवमेंट की जानकारी देता था।

अनंतनाग जिले के दो शिक्षक जमात-ए-इस्लामी और दुख्तरिन-ए-मिल्लत की अलगाववादी विचारधारा का प्रचार प्रसारत करते थे, यानि युवाओं को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाते थे। इस काम के लिए उन्हें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान मोटी रक्कम अदा करता था।

स्वास्थ्य विभाग में तैनात नाज़ मोहम्मद अल्लाई पर दो खूंखार आतंकियों को पनाह देने का आरोप है। इसी लिस्ट में शामिल जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबलों ने आतंक के आकाओं को टॉप सेक्रेट जानकारी तक दे डाली. एक कांस्टेबल अब्दुल राशिद शिगन ने तो खुद सुरक्षा बलों पर ही हमले किए हैं।

देश में रहने वाले भारत का नमक खाने वाले देश की सुरक्षा को ही बेंच रहे थे। सभी आतंकी पाकिस्तान को पुलिस की पोजिशन, आज क्या ऑपरेश करने वाले हैं ? यह पूरी जानकारी पाकिस्तान देते थे। समय रहते हुए इन्हें अगर पकड़ा न गया होता तो देश के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी।

जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरी करने वालों की आंड में पाकिस्तान के लिए काम करने वालों के लिए जांच एजेंसियों ने टास्क फोर्स का गठन गिया था। एजेंसियों की रडार पर कई सरकारी कर्मचारी हैं। समय के साथ इन्हें भी जेल में फेंक दिया जाएगा।

11 सरकारी कर्मचारियों को पकड़ने के बाद जांच एजेंसियों के हाथ कई और अहम इनपुट लगे हैं। आगे की तलाश जारी है।

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