Breast Cancer जैसी गंभीर बीमारी महिलाओं के बीच काफी बढ़ रही है। बीमारी का पता सही समय पर ना होने के कारण ये मौत की वजह बन जाता है। पूरे विश्व की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या देखने को मिल रही है। भारत में इस बीमारी से लड़ने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। भारत के औषधि महानियंत्रक ने एस्ट्राजेनेका दवा कंपनी को देश में ब्रेस्ट कैंसर की दवा बेचने की अनुमति दे दी है।
इस आदेश के बाद आसानी से ये दवाएं देश में उपलब्ध होंगी। एस्ट्राजेनेका की इस दवा का नाम लिंपार्जा है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने शुरुआती स्तन कैंसर वाले वयस्क मरीजों के इलाज के लिए एक मोनोथेरेपी के रूप लिंपार्जा को मंजूरी दी है, जिनका पहले नियो एडजुवेंट या एडजुवेंट कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जा सकता है।
एस्ट्राजेनेका इंडिया की ओर से आए एक बयान के अनुसार, ये मंजूरी तीसरे चरण के परीक्षण के परिणामों पर आधारित है। जिसमें ये दवा उपचार के लिए मददगार बताई गई है। एस्ट्राजेनेका इंडिया के डायरेक्टर जनरल और कंट्री चीफ गगनदीप सिंह ने कहा कि लिंपार्जा को नियामकीय मंजूरी मिलने से भारत में कैंसर के उपचार के लिए समाधान देने और क्लिनिकल रिसर्च की हमारी बढ़ती क्षमताएं और भी मजबूत होंगी। भारत में लिंपार्जा के मंजूरी के साथ ही ये अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और कई अन्य देशों में भी इसे मंजूरी मिल गई है।
Breast Cancer में बीआरसी के इलाज की पहली दवा
गौरतलब है कि ये दवा शुरुआती स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर में बीआरसी (स्तन कैंसर जीन) का इलाज करने वाली पहली और एकमात्र मंजूरी दी गई दवा है। एस्ट्राजेनेका इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर गगनदीप सिंह ने बताया कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मरीजों का इलाज किया जाता है। जिसमें हर साल लगभग 23 लाख मरीजों को ठीक कर दिया जाता है। भारत में स्तन कैंसर के कारण लगभग 62 प्रतिशत मौतें हर साल हो रही है।
Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर के लिए भारत में पहले से ये दवाएं उपलब्ध
भारत में इससे पहले भी ब्रेस्ट कैंसर में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को DCGI ने मंजूरी दी है। जिनमें से फेस्गा को DCGI ने अक्टूबर 2021 में मंजूरी दी और जनवरी 2022 में आयात लाइसेंस मिला। दवा कंपनी फेस्गो का कहना है कि वैश्विक स्तर पर इस दवाई के जरिए दिसंबर 2021 तक 17,000 से अधिक ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों ने इसका लाभ उठाया है।
दूसरी दवा का नाम ट्रैस्टूजुमाब (Trastuzumab) है। यह एक बायोसिमिलर दवा है। इसका अर्थ यह है कि इसे जिंदा स्रोतों जैसे कोशिकाओं से बनाया गया है ना कि किसी केमिकल से। इसकी कीमत भी सामान्य दवा के मुकाबले 65 फीसदी तक कम है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फर्स्ट स्टेज के कैंसर से लड़ने में यह दवा काफी कारगर है। साथ ही साथ कुछ केसों में देखा गया है कि तीसरी स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर में भी यह दवा काफी उपयोगी साबित हुई है।
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