Organic Farming: पिछले कई वर्षों के दौरान उत्तराखंड में जैविक खेती का क्रेज किसानों में बढ़ा है। दरअसल जैविक खेती से होने वाले फायदे और नुकसान एक बार फिर से चर्चा में हैं। रासायनिक छिड़काव और पेस्टीसाइड से भले ही किसानों को अधिक पैदावार मिल जाती है, लेकिन अक्सर इसमें लाभ से कहीं अधिक नुकसान हो रहा है।लगातार मिट्टी की उर्वरा शक्ति ख़त्म होती जा रही है, वहीं दूसरी ओर यह भूजल में मिलकर प्राकृतिक जल स्रोतों को दूषित भी कर रहा है।
इसका खामियाजा इंसान को बीमारी के रूप में चुकाना पड़ रहा है। दूसरी ओर जैविक खेती से अपेक्षाकृत लाभ तो कम है लेकिन धीरे धीरे इसे फायदे का सौदा के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है।
वर्तमान में केंद्र सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। जिसमें परंपरागत कृषि विकास योजना शामिल है।इसके तहत सरकार किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है।इस योजना के तहत 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की मदद दी जाएगी।

Organic Farming: राष्ट्रीय परियोजना की शुरुआत
किसानों का ध्यान जैविक खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए वर्ष 2004-05 में राष्ट्रीय परियोजना की शुरुआत की गई थी। नेशनल सेंटर ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग के मुताबिक, 2003-04 में भारत में जैविक खेती सिर्फ 76,000 हेक्टेयर में हो रही थी जो 2009-10 में बढ़कर 10,85,648 हेक्टेयर हो गई। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार अभी देश में कुल 27.70 लाख हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती की जा रही है।
Organic Farming: उगता सूरज योजना से जोड़ रहे गांव

राज्य में उगता सूरज की ओर से योजना शुरू की गई है।जिसके अंतर्गत 3 कलस्टरों के माध्यम से गांव के सदस्यों को जोड़ा जा रहा है, ताकि धीरे- धीरे लोग इसके प्रति जागरूक हो सकें।रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान पर चर्चा करते हुए उगता सूरज संस्था की अध्यक्षा कमला देवी का कहना था कि दस साल पहले की अपेक्षा वर्त्तमान में उत्पादन कम होता जा रहा है। कम समय में अधिक फसल की लालच में किसानों ने रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को खत्म कर दिया है। ऐसे में उन्हें रासायनिक खेती से जैविक खेती की तरफ मोड़ना एक बड़ी चुनौती थी।
Organic Farming:किसानों को जागरूक करना शुरू
उगता सूरज योजना से जुड़े लोगों ने किसानों को जैविक खेती का लाभ बताने के लिए ज़मीनी स्तर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन करना शुरू किया। उन्हें एक तरफ जहां जैविक खेती के लाभ बताए गए, वहीं रासायनिक खेती से होने वाले नुकसानों से भी अवगत कराया गया।
सरकार द्वारा किसानों को जैविक खेती के लिए मुफ्त उपलब्ध कराए जाने वाले बीज, खाद और प्राकृतिक रूप से तैयार कीटनाशक दवाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाने लगी।ताकि किसान की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुए बिना उनके उत्पादन को बढ़ाया जा सके। किसानों को गोबर से बनने वाले खाद की उपयोगिता से भी अवगत कराया जाने लगा।
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