Navratri 2022: दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में दुर्गा पूजा के भव्य पंडालों के निर्माण ने जोर पकड़ लिया है। खासतौर से दक्षिण दिल्ली के चितरंजन पार्क, कनॉट प्लेस का कालीबाड़ी, पीतमपुरा, रोहिणी समेत कई स्थानों पर पंडाल बनने शुरू हो गए हैं। आस्था और विश्वास के पर्व नवरात्र पर मां दूर्गा श्रद्धालुओं को पर्यावरण का संदेश देंगी। इस वर्ष पंडाल में विराजमान होने जा रहीं देवी दुर्गा जी की प्रतिमा ईको फ्रेंडली होंगी। यानी इनके विसर्जन के बाद भी पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। रासायनिक रंगों से दूर आस्था की इन प्रतिमाओं को संवारने में कारीगर भी पूरी श्रद्धा से लगे हुए है।
मां दुर्गा की प्रतिमाएं भी ईको फ्रेंडली बनाई जा रही हैं। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी, घास, बांस और जूट के बोरे से ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं। जो नदी के जल में आसानी से घुल जाएंगी। रविंद्रपल्ली, तालकटोरा रोड के अंबेडकर और राजाजीपुरम में शहर की दुर्गा पूजा समितियों की ओर से प्रतिमाओं का निर्माण कराया जा रहा है।
बता दें कि प्रतिमाएं तालाब की काली मिट्टी और पुआल से बनाई जा रही हैं। रविंद्रपल्ली में ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाने वाले कलाकारों का कहना है कि पर्यावरण के अनुकूल प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। ग्रामीण इलाकों से तालाब की काली मिट्टी लाई गई है। पुआल के साथ मां की प्रतिमा को आकार दिया जा रहा है।
Navratri 2022: प्रतिमा को सजाने के लिए पानी वाले रंग का इस्तेमाल
प्रतिमा को सजाने के लिए पानी वाले रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। बता दें कि दो दर्जन से अधिक समितियों की ओर से पर्यावरण अनुकूल प्रतिमाएं बनाने का ऑर्डर मिला है। मां के बालों और शेर बनाने में प्लास्टिक की जगह पुआल, मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूजा के पंडालों की प्रतिमाओं को आकार देने वाले कलाकार ने बताया कि ऐसा सामान प्रयोग में लाया जा रहा है, जो पानी को दूषित नहीं करेगा।
बता दें कि मां के वस्त्रों से लेकर उनके मुकुट तक में सूती कपड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्लास्टर आफ पेरिस व केमिकल रंगों से बनने वाली प्रतिमाएं तो एक से दो दिन में तैयार हो जाती हैं, लेकिन पर्यावरण अनुकूल प्रतिमाएं बनाने में 20 से 25 दिन लगते हैं। कारीगरों का कहना है कि जल्दी में प्रतिमाएं बनाकर पर्यावरण को खराब करने वालों को पहले ही मना कर दिया जाता है।
दरअसल, कारीगर ने बताया कि रंग बनाने में प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल होगा। 10 से 12 लोग हर दिन काम करके प्रतिमाओं को आकार देते हैं। प्रतिमा निर्माण चिपकाने के लिए जिस गोंद का इस्तेमाल होता है वह इमली के बीज के पाउडर से बनती है। पोस्टर रंगों को इसमें मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। काली मिट्टी भी अब 10 से बढ़कर 80 रुपये प्रति बोरी हो गई है। सजावट का सामान भी कोलकाता से मंगाया जाता है।
Eco Friendly Shardiya Navratri 2022: पंडालों में कब क्या होगा
- 30 सितंबर- महापंचमी पर पंडालों में प्रतिमा स्थापना की जाएगी।
- एक अक्टूबर- महाषष्ठी पर मां का बोधन, सायंकाल मां का आमंत्रण-अधिवास के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
- दो अक्टूबर- महासप्तमी पूजा और पुष्पांजलि कार्यक्रम होगा।
- तीन अक्टूबर- महाअष्टमी पर संधि पूजा आरती की जाएगी।
- चार अक्टूबर- महानवमी को हवन पूजन पुष्पांजलि की जाएगी।
- पांच अक्टूबर- दशमी को पूजन-हवन के बाद विसर्जन यात्रा की जाएगी।
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