दुर्गा पूजा पंडाल की शोभा बढ़ाएंगी Eco Friendly मूर्तियां,बंगाल से आए मूर्तिकार पर्यावरण को ध्‍यान में रखकर तैयार कर रहे देवी दुर्गा की प्रतिमा

Eco Friendly : कोरोना महामारी के दो वर्ष बाद श्रद्धालुओं में खुशी को देखते हुए मूर्तिकारों में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। जगह-जगह मूर्तियां बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है।

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Eco Friendly: Durga ji idol news
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Eco Friendly: दिल्‍ली-एनसीआर के कई इलाकों में दुर्गा पूजा के भव्‍य पंडालों के निर्माण ने जोर पकड़ लिया है।खासतौर से दक्षिण दिल्‍ली के चितरंजन पार्क, कनॉट प्‍लेस का कालीबाड़ी, पीतमपुरा, रोहिणी समेत कई स्‍थानों पर पंडाल बनने शुरू हो गए हैं। कोरोना काल के बाद इस वर्ष मां दुर्गा जी की मूर्ति बनाने में जुटे मूर्तिकार भी खुश हैं। इस बार उन्‍हें लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं।

इस वर्ष पंडाल में विराजमान होने जा रहीं देवी दुर्गा जी की प्रतिमा ईको फ्रेंडली होंगी। यानी इनके विसर्जन के बाद भी पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। कोरोना महामारी के दो वर्ष बाद श्रद्धालुओं में खुशी को देखते हुए मूर्तिकारों में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। जगह-जगह मूर्तियां बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। इसके लिए विशेष तौर से कोलकाता से कलाकार आए हैं। जो दिन रात मेहनत कर तीन फुट से लेकर 15 फुट तक की मूर्तियों को आकार दे रहे हैं।

ध्‍यान योग्‍य है कि पर्यावरण संरक्षण को ध्‍यान में रखते हुए मिट्टी, घास, बांस और जूट के बोरे से इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं।गौरतलब है कि इस बार श्रद्धालुओं की ओर से बड़ी मूर्तियों की मांग अधिक की जा रही है।यही वजह है कि इनकी कीमत में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। यह मूर्तियां एक लाख रुपये से लेकर करीब 2 लाख रुपये में तैयार की जा रही हैं। छोटी मूर्तियों की कीमत 300 रुपये से शुरू है।

Eco Friendly idol of Devi Durga ji.
Eco Friendly: देवी दुर्गा की प्रतिमा निर्माण के लिए हो रहा प्राकृतिक सामान का इस्‍तेमाल।

Eco Friendly : हरियाणा के झज्‍जर से आ रही मिट्टी

Eco Friendly: पिछले चार दशक से भी अधिक समय देवी दुर्गा जी की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार संजॉय दास का कहना है कि मूर्ति बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। मूर्तियों के लिए मिट्टी हरियाणा के झज्जर जिले से आ रही है।मूर्ति को आकार देने के बाद यमुना नदी की मिट्टी से उसे आकर्षक बनाया जा रहा है।

Eco Friendly: कोलकाता के हावड़ा से आए मूर्तिकार अशोक दत्‍त का कहना है कि इस बार काम अच्छा है।एक अच्छी मूर्ति बनाने में कम से कम एक सप्ताह से 15 दिन तक लग जाते हैं। इस बार प्रदूषण को देखते हुए लोग ईको फ्रेंडली मूर्तियों की मार्केट में डिमांड अधिक है।
रोहिणी सेक्‍टर- 19 में दुर्गा पूजा की मूर्ति बनाने वाले सुजॉय सरकार का कहना है कि वे मूर्ति बनाने में अधिक से अधिक इको फ्रेंडली संसाधनों का इस्‍तेमाल करते हैं। जिसमें कपास, काली मिर्च, कपूर, सूती कपड़ा और हरी घास अधिक रहती है। कई जगह पर कागज भी इस्‍तेमाल किया जाता है, जोकि पर्यावरण में बड़ी ही सरलता के साथ मिल जाता है।

Eco Friendly: प्‍लास्‍टर ऑफ पेरिस की जगह गत्‍तों का हो रहा इस्‍तेमाल

Eco Friendly: एनसीआर स्थित गुरुग्राम में भी देवी की मूर्तियों का निर्माण शुरू हो चुका है।यहां भी किसी मूर्तिकार ने प्लास्टर आफ पेरिस का इस्‍तेमाल नहीं किया है। मार्केट से पेंट खरीदने की बजाय मूर्तिकार कोलकाता से लाए प्राकृतिक रंगों को खड़िया पाउडर में मिलाकर मूर्तियां को रंग कर रहे हैं।

मसलन बांस, आलू और गत्तों के साथ गोंद, अरारोट इत्यादि को लेकर मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है। कलाकारों का कहना है कि चमक लाने के लिए सिर्फ वार्निश आयल का इस्‍तेमाल करते हैं, जोकि ब्रांडेड कंपनी का लिया जाता है। इसके इस्‍तेमाल से न तो प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान होता है और न ही जलीय जीवों के आगे संकट खड़ा होगा।

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