स्विट्ज़रलैंड में तीन गुना तेजी से पिघल रहे ग्‍लेशियर, Global Warming का हो रहा असर

Global Warming: स्विस एकेडमी ऑफ साइंसेज की ओर से जारी रिपोर्ट में ग्‍लेशियरों के लिए ये साल विनाशकारी बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार करीब 3 घन मीटर किलोमीटर बर्फ गायब हो चुकी है।

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Global Warming: top news of melting galciers
Global Warming

Global Warming: अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सुंदर नजारों के लिए मशहूर स्विट्ज़रलैंड पर ग्‍लोबल वार्मिंग का असर साफतौर पर नजर आ रहा है।पिछले वर्ष यहां 2 प्रतिशत ग्‍लेशियर पिघले थे। वहीं इस साल अभी तक ये आंकड़ा करीब 3 गुना बढ़ गया है। जोकि बेहद चिंताजनक है।हालांकि पिछले वर्ष जो नुकसान हुआ था, तब वैज्ञानिकों ने इसे चरम बताया था। तब तक इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि इस साल हालात और भी अधिक खराब हो जाएंगे। स्विस एकेडमी ऑफ साइंसेज की ओर से जारी रिपोर्ट में ग्‍लेशियरों के लिए ये साल विनाशकारी बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार करीब 3 घन मीटर किलोमीटर बर्फ गायब हो चुकी है।

Global Warming impact on Switzerland Glaciers.
Global Warming.

Global Warming: छोटे ग्‍लेशियरों को सर्वाधिक नुकसान

जानकारी के अनुसार सबसे ज्‍यादा नुकसान छोटे ग्‍लेशियरों को पहुंचा है।सेंट गैलेन के कैंटन में पिंजोल ग्‍लेशियर, ग्रिसन्‍स में वाडेटडल कोरवात्‍श और उरी में श्‍वार्जबैकफिरन गायब होते जा रहे हैं। दूसरी तरफ इंग्‍डाइन और दक्षिणी वेल्‍स में समुद्र तल से करीब 3000 मीटर ऊपर बर्फ की 4 से 6 मीटर मोटी परत गायब हो चुकी है। गौरतलब है कि इस वर्ष यूरोप में भयंकर गर्मी और सर्दियों में कम बर्फ पड़ने के कारण इस साल ग्‍लेशियर पिघलने के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। इससे पहले वर्ष 2003 में ग्‍लेशियरों को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा था।

Global Warming: कर्म बर्फबारी भी बनी वजह

दरअसल यहां हर साल पड़ने वाली बर्फ से ग्‍लेशियर सुरक्षित रहते हैं।लेकिन हर साल की तुलना में इस वर्ष यहां काफी कम बर्फ पड़ी।वैज्ञानिकों के अुसार इस सान सहारा रेगिस्‍तान से ड़ने वाली धूल सूर्य के ताप से ज्‍यादा गर्म थी।जिससे बर्फ और तेजी से पिघल गई।

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