Aravali: अरावली बचाने और पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई बार माननीय सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुका है।पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट PLPA यानी लागू होने के कारण अरावली की रेंज में निर्माण तो दूर पेड़ की सूखी टहनी को भी उठाकर ले जाना अपराध की श्रेणी में आता है।इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी बेअसर सातिब हो रहे हैं। दरअसल अरावली की श्रृंखला के अंतर्गत आने वाले फरीदाबाद और गुरुग्राम क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन को इसकी सुध ही नहीं है।
पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी बेअसर साबित हो रहे हैं। एनजीटी ने वन क्षेत्र के पुनरुद्धार करने का निर्देश दिया है, लेकिन कांत एंकलेव, खोरी गांव की तोड़फोड़ के बावजूद संरक्षण नहीं हो रहा है।यहां से अभी तक मलबा उठाना तो दूर इस बेल्ट के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
Aravali: PLPA पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाई
Aravali: पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट (पीएलपीए) संशोधित बिल पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। मालूम हो कि कुछ माह पूर्व ही अरावली वन क्षेत्र की अधिसूचित जमीन पर बसे खोरी गांव में तोड़फोड़ की गई। इससे सैकड़ों लोगों के घर तो उजड़े लेकिन भूमाफियाओं पर कार्रवाई शून्य ही रही। रायसीना से गुजरात तक फैली अरावली पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत हरियाणा के 5 बड़े जिले फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ पड़ते हैं। वन क्षेत्र का अहम हिस्सा होने के बावजूद इसका लगातार दोहन जारी है।
बात अगर फरीदाबाद और गुरुग्राम के अंतर्गत अरावली की करें, तो इसका दायरा दिल्ली सीमा पर स्थित असोला भाटी से शुरू होकर फरीदाबाद के सूरजकुंड, बड़खल, मांगर बणी, पाली से होते हुए गुरुग्राम के दमदमा तक है।अरावली में ढाक, कतीरा, इंद्र जोउ, धोउ सहित कई तरह के पेड़ पौधों की अलग अलग किस्म मौजूद है।
इसके अलावा अरावली में दुलर्भ वनस्पतियां मौजूद हैं। अरावली भूजल स्तर बढ़ाने का सबसे बड़ा स्रोत है। पर्यावरणविद मानते हैं कि हर रसाल राजस्थान की तरफ से आने वाली धूल भरी आंधी को भी अरावली की श्रंखलाएं ही रोकती है। वहीं इस समय जो शुद्ध हवा दिल्ली एनसीआर को मिल रही है वह भी अरावली ही देती है। बावजूद इसके अवैध पर्यावरण संरक्षण की सुध किसी को नहीं।
Aravali: जानिए किस जिले के अंतर्गत कितना वनक्षेत्र आता है ?
- फरीदाबाद 741 00 79.9 10
- पलवल 1359 00 13 1.03
- गुरुग्राम 1258 00 116 9.24
- मेवात 1507 00 111 7.38
Aravali: गौरतलब है कि एनजीटी ने वर्ष 2018 में आदेश दिया था, जिसके अनुसार 3 स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए वन क्षेत्र बचाने की सख्त जरूरत है। इसके तहत आइडेंटिफाई, अवैध कब्जे मुक्त करने और जंगल का पुनरुद्धार करने जैसे बिंदु थे। हालांकि पीएलपीए 27 फरवरी 2019 को संशोधन राज्य सरकार ने किया, लेकिन दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे का ऑर्डर दे दिया। ऐसे में यहां के वन विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि इस वन क्षेत्र को बचाएं, ताकि मौजूदा समय में ऑक्सीजन की कमी, गिरते जलस्तर, घटते वन क्षेत्र आदि की समस्या से बचा जा सके।
Aravali: स्थानीय लोगों ने दिए अरावली बचाने के निम्न सुझाव
Aravali:हालांकि इस बाबत कुछ सुझाव अरावली क्षेत्र के अंतर्गत बसी कॉलोनियों के लोगों, स्थानीय आरडब्ल्यूए एवं पर्यावरणविदों ने भी की है। जिसके तहत सभी ने जो सुझाव दिए हैं, वे इस प्रकार हैं।
- अरावली वनक्षेत्र में रहने वाले लोगों को पुनर्स्थापित कर वन क्षेत्र को बचाया जाए
- अरावली वन क्षेत्र में करीब 250 से अधिक औषधीय पौधों की पहचान हो चुकी है। इनका संरक्षण किया जाए
- बिगड़े इको सिस्टम के कारण यहां आने वाले 5 गावों का पानी इंसान तो क्या जानवरों के पीने लायक नहीं बचा, एनजीटी ने नजफगढ़ नाले के रिनोवेट करने के आदेश दिए हैं, इस काम जल्द पूरा हो
- नगर निगम और जीएमडीए को एनजीटी ने आदेश दिए हैं कि 900 एकड़ के करीब पानी के जोहड़ का संरक्षण किया जाए
- हर सोसायटी अपने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सक्रिय रखे
- कूड़े की रीसाइकलिंग पर ध्यान दिया जाए
- हरियाली को बढ़ावा देने के लिए हर सेक्टर में लघु वन क्षेत्र की तर्ज पर ग्रीन बेल्ट विकसित की जाए
Aravali: ठंडे बस्ते में गईं जरूरी योजनाएं
जानकारी के अनुसार अरावली में मौजूदा समय लगभग 50 से अधिक छोटी बड़ी झीलें मौजूद हैं, जिनका पानी बिल्कुल साफ है। इन झीलों को पर्यटन के लिहाज से इस्तेमाल करने के लिए वर्ष 2017 में सरकार ने इको टूरिजम की संभावनाएं तलाशने को लेकर काम शुरू किया था। हरियाणा वन विकास निगम को सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। वन विभाग ने अरावली पहाड़ में बनी झीलों का सर्वे किया और प्रोजेक्ट बना कर सरकार को सौंप दिया। इस परियोजना में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए झीलों में बोटिंग के अलावा जंगल सफारी, एडवेंचर कैंप आदि का आयोजन करने का प्रस्ताव था। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार परियोजना तैयार करके सरकार के पास भेज दी गई थी, मगर सरकार ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया। इसी तरह बड़खल झील के जीर्णोद्धार का काम आज तक लंबित है।
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