अक्षय कुमार और ऋतिक रोशन ने AI दुरुपयोग से अपने “व्यक्तित्व अधिकारों” की रक्षा के लिए खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा, दायर की याचिका

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बॉलीवुड के दो दिग्गज सितारे — अक्षय कुमार और ऋतिक रोशन — अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और Deepfake तकनीक से अपनी पहचान के दुरुपयोग को लेकर कानूनी कदम उठा रहे हैं। अक्षय ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जबकि ऋतिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसी तरह की अर्जी लगाई है।

दोनों अभिनेताओं की याचिकाओं में यह मांग की गई है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था को बिना अनुमति उनके नाम, छवि, आवाज़, पहचान, या अभिनय शैली के उपयोग की अनुमति न दी जाए।

अक्षय की याचिका: “मेरे नाम और छवि का अनधिकृत इस्तेमाल रोका जाए”

अक्षय कुमार ने अदालत से अनुरोध किया है कि कोई भी व्यक्ति या संगठन उनके “अक्षय कुमार” नाम, पहचान, स्टाइल या वॉयस का व्यावसायिक या डिजिटल रूप से इस्तेमाल न करे। उनका कहना है कि कई सोशल मीडिया अकाउंट्स और AI-जनित वीडियो उनके नाम से प्रचार सामग्री बना रहे हैं, जिससे उनकी साख और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच रहा है।

ऋतिक की याचिका: “Deepfake वीडियो और नकली ब्रांड प्रमोशन पर रोक जरूरी”

ऋतिक रोशन ने अपनी याचिका में कहा है कि AI टूल्स और Deepfake तकनीक का इस्तेमाल कर उनकी फर्जी छवियाँ, वीडियो और विज्ञापन तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी नकली प्रोफाइल्स और झूठे ब्रांड समर्थन सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं, जिससे लोगों में भ्रम फैलता है कि ये उनके द्वारा अधिकृत हैं।

कोर्ट में सुनवाई और पूर्व उदाहरण

दोनों याचिकाओं की सुनवाई बुधवार (15 अक्टूबर) को होनी है — बॉम्बे हाई कोर्ट में अक्षय कुमार की और दिल्ली हाई कोर्ट में ऋतिक रोशन की याचिका पर। इससे पहले अभिनेता सुनील शेट्टी को भी बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम राहत (interim relief) मिल चुकी है, जब Deepfake कंटेंट के दुरुपयोग को अदालत ने “व्यक्तित्व अधिकार” और “सम्मानपूर्वक जीवन” के उल्लंघन के रूप में माना था।

AI युग में निजता और छवि संरक्षण की चुनौती

अदालतों में दायर ये याचिकाएँ सिर्फ फिल्म उद्योग के लिए ही नहीं, बल्कि डिजिटल युग में व्यक्तित्व अधिकारों और पहचान सुरक्षा के लिए भी अहम मानी जा रही हैं। अगर अदालतें इन याचिकाओं को मंजूरी देती हैं, तो यह AI कंपनियों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स साइट्स के लिए एक स्पष्ट संदेश होगा कि वे Deepfake या फर्जी कंटेंट के प्रसार से बचें।

यह मामला भारतीय मनोरंजन जगत में AI रेगुलेशन की दिशा में एक नया मिसाल बन सकता है, जिससे आने वाले समय में सभी सार्वजनिक हस्तियों के डिजिटल अधिकारों की कानूनी परिभाषा तय हो सकती है।