Bahubali Vijay Mishra: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के 7वें चरण के लिए सोमवार को मतदान किया जाएगा। इस चरण में ज्ञानपुर सीट पर भी मतदान होना है। ज्ञानपुर सीट इसलिए खास है क्योंकि यहां से बाहुबली विजय मिश्रा चुनावी ताल ठोक रहे हैं। 7वें चरण के चुनाव में विजय मिश्रा ऐसे उम्मीदवार हैं जो कि जेल से चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
Bahubali Vijay Mishra जेल से लड़ रहे हैं चुनाव
दरअसल बाहुबली विजय मिश्रा की खुद की अपनी पार्टी है। उनकी पार्टी का नाम प्रगतिशील मानव समाज पार्टी है। विजय मिश्रा अपनी पार्टी के टिकट पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। रिश्तेदार की संपत्ति कब्जा करने और दुष्कर्म के मामले में मिश्रा इस समय आगरा जेल में बंद हैं। ज्ञानपुर सीट यूपी के भदोही जिले के अंतर्गत आती है।
Bahubali Vijay Mishra को ज्ञानपुर से कौन दे रहे हैं चुनौती?
विजय मिश्रा ज्ञानपुर विधानसभा सीट से लगातार चौथी बार विधायक रहे हैं। तीन बार वह समाजवादी पार्टी से विधायक बने और 2017 में निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर बीजेपी की लहर में जीत दर्ज की थी। इस बार के चुनाव में विजय मिश्रा को ज्ञानपुर सीट से सपा के रामकिशोर बिंद चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा बसपा ने उपेंद्र सिंह और निषाद पार्टी ने विपुल दुबे को उम्मीदवार घोषित किया है।
ज्ञानपुर सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 64 हजार 749 है। बता दें कि विजय मिश्रा के लिए उनकी पत्नी और बेटी प्रचार कर रही हैं। पिछले महीने तो एक मंच पर मिश्रा की पत्नी और बेटी भावुक हो गयी थीं। उन्होंने कहा कि अब हमारी इज्जत आप लोगों के हाथों में है।
Bahubali Vijay Mishra को सीएम कमलापति त्रिपाठी ने दी थी सियासत में दावत
दरअसल विजय मिश्रा बनारस से 50 किलोमीटर दूर धानापुर गांव के रहने वाले हैं। 1980 तक वे पेट्रोल पंप और ट्रक चलवाने का काम ही करते थे। हालांकि जब यूपी के सीएम कमलापति त्रिपाठी ने विजय मिश्रा को राजनीति में आने की दावत दी तो विजय इसके लिए राजी हो गए। ब्लॉक प्रमुख से होते हुए मिश्रा ने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा।
विजय मिश्रा जब समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव के करीब आए तो यादव ने मिश्रा को 2002 यूपी चुनाव में टिकट दिया। 2007 में जब यूपी में मायावती की लहर थी तब भी विजय मिश्रा ज्ञानपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद तो 2012 का चुनाव उनके लिए आसान था। उस समय सपा की यूपी में लहर थी। अखिलेश यादव की यूपी में सरकार बनी तो विजय मिश्रा जेल से बाहर आए। लेकिन बाद में विजय मिश्रा की अखिलेश यादव से नहीं बनी और अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव में विजय मिश्रा को टिकट नहीं दिया।
2017 के चुनाव में संजय निषाद की पार्टी निषाद पार्टा ने विजय मिश्रा को टिकट दिया। विजय एक बार फिर से विधायक बने। हालांकि बाद में निषाद पार्टी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
बता दें कि योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान विजय मिश्रा के प्रयागराज के अल्लापुर में स्थित घर पर बुलडोजर चलवा दिया। भतीजे प्रकाश चंद्र मिश्र और विकास चंद्र मिश्र के घर भी कुर्क करवा दिए। विजय फरार हुए तो पुलिस दूसरे राज्यों में तलाश करने पहुंच गई। बाद में मिश्रा को 14 अगस्त 2020 को एमपी के आगर में पकड़ लिया गया।
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