Himachal Election: बर्फीली पहाड़ियों से ढके राज्य हिमाचल की ठंडी हवाएं आम तौर पर नवंबर-दिसंबर के महीनें में कंपा देती हैं, लेकिन साल 2022 के ये महीने यहां ज़रा गर्म रहने वाले हैं। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों का मतगणना जारी है। हिमाचल प्रदेश में शुरुआती रुझानों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। अब तक बीजेपी को 4 सीटों पर जीत मिली है। लेकिन रुझानों में कांग्रेस फिलहाल बहुमत के आंकड़े को पार कर गई है। वैसे पहला नतीजा बीजेपी के हक में आया है। सिराज सीट से हिमाचल प्रदेश के सीएम और बीजेपी के उम्मीदवार जयराम ठाकुर को जीत मिल गई है। उम्मीद की जा रही है कि आज दोपहर तक नई सरकार को लेकर चुनावी तस्वीर साफ हो जाएगी। बता दें कि पहाड़ी राज्य में ‘कर्तव्य जारी रहेगा’ या ‘रिवाज बदलेगा’ के बीच चुनावी जंग शुरू हो गई थी, साथ ही साथ सियासी दलों की सक्रियता से ठंड के मौसम में ‘गर्मी’ भी बढ़ गई थी।
हिमाचल विधानसभा— कुल सीटें 68, बहुमत 35
विधानसभा चुनाव 2017:
भाजपा 44, कांग्रेस 21, सीपीएम 1 और अन्य ने 2 सीटें जीतीं।
विधानसभा चुनाव 2012:
भाजपा 26, कांग्रेस 36, एचएलपी 1 और अन्य के हाथ 5 सीटें लगीं।
विधानसभा चुनाव 2007:
भाजपा 41, बीएसपी 1, कांग्रेस 23 और अन्य 3 सीटें जीतीं।
विधानसभा चुनाव 2003:
भाजपा 16, कांग्रेस 43, एचवीसी 1, एलजेएनएसपी 1, एलएमएचपी 1 और अन्य 11
‘कस्टम बदल जाएगा’ बनाम ‘कस्टम जारी रहेगा’
हिमाचल प्रदेश का रिवाज रहा है कि यहां हर पांच साल बाद सत्ता बदल जाती है। इस प्रथा को शुरुआत मानकर भाजपा ने न केवल अपने चुनावी नारे ‘रिवाज बदलेगा’ के साथ भव्य तरीके से चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी, बल्कि हिमाचल प्रदेश में विकास की बड़ी परियोजनाओं के माध्यम से जनता से सीधा संवाद भी किया। राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के लिए एकतरफा हो गया है।
बीजेपी इस बार अपनी डबल इंजन सरकार और नरेंद्र मोदी के चेहरे जय राम ठाकुर के साथ चुनावी मैदान में है। वहीं, उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेस चुनावी मैदान में उतर रही है। कांग्रेस ने छोटे स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के प्रयास किए हैं, जिसके चलते वह हिमाचल प्रदेश में ‘रिवाज जारी रहेगा’ के नारे के साथ प्रचार कर रहे हैं। उधर, भाजपा ने डबल इंजन की सरकार में किए गए कार्यों के बल पर चुनाव प्रचार को बदलते रीति-रिवाजों के नारे से सजाया था।
बीजेपी की अंदरूनी राजनीति होगी भारी
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज है तो यह जारी रहेगा। हालांकि सरकार बदलने के रिवाज को जारी रखने के पीछे कांग्रेस का अपना तर्क है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद पीएल पुनिया का कहना है कि जिस तरह से पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव में अपनी तैयारी की और हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों के साथ-साथ एक लोकसभा सीट पर जीत हासिल की, वह पार्टी की एकजुटता का नतीजा है।
कार्यकर्ता और पार्टी की ताकत को दर्शाता है। उनका कहना है कि इस बार बीजेपी की अंदरूनी राजनीति ही उन्हें सत्ता से बाहर कर देगी। कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हिमाचल में कांग्रेस के मजबूत नेता वीरभद्र सिंह के न रहने के बाद भी जनता सीधे उनके नाम से जुड़ रही है। यही कारण है कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर भाजपा को सत्ता से बेदखल करेगी और राज्य में जनता की सरकार के रूप में उनका प्रतिनिधित्व करेगी।
“डबल इंजन की सरकार के चलते हो रहा है काम”
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना का कहना है कि कांग्रेस के पास न तो कोई चेहरा है और न ही राज्य में कोई दूरदृष्टि है। यही वजह है कि कांग्रेस के बड़े नेता उनकी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। अविनाश राय खन्ना का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के कमजोर नेतृत्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनके दो प्रदेश प्रभारी हर्ष महाजन और पवन काजल पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। उनका कहना है कि यह पार्टी का कमजोर नेतृत्व नहीं तो और क्या है।
प्रदेश प्रभारी अविनाश राय का कहना है कि न सिर्फ उनकी पार्टी का संगठन मजबूत है, बल्कि डबल इंजन की सरकार के चलते हिमाचल प्रदेश में भी लगातार काम हो रहा है। लोगों को विश्वास है कि किए गए वादे भी पूरे होते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी से लेकर मेडिकल कॉलेज तक और बिजली परियोजनाओं का शिलान्यास इस बात की गवाही देता है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी खन्ना का कहना है कि इस बार सरकार भी दोहराएगी और रिवाज भी बदलेगा।
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