Hindu College: दिल्ली यूनिवर्सिटी नार्थ कैंपस का जिक्र होते ही हिंदू कॉलेज की तस्वीर आंखों के आगे छा जाती है। एक ऐसा ऐतिहासिक कॉलेज जो शुरू तो चांदनी चौक के किनारी बाजार से हुआ, लेकिन अपने सफर को कायम रखते हुए कश्मीरी गेट और अब नार्थ कैंपस की शान बन गया है।
डीयू के हिंदू कॉलेज की स्थापना 1899 में हुई। ये कॉलेज अपनी समकालीन घटनाओं का भी गवाह रहा है। फिर चाहे स्वदेशी आंदोलन हो या असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो के नारों से लेकर विभाजन का दंश। इस कॉलेज के छात्रों का योगदान देश की आजादी से लेकर विज्ञान और तकनीक,लेखन, प्रशासन और साहित्य तक में देखा जा सकता है।
यही वजह है कि ये कॉलेज महज दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे भारत के छात्रों का मनपंसद है। हर बच्चे की चाहत इस कॉलेज में एडमिशन लेनी होती है, चाहे उसका बैकग्राउंड साइंस, ह्यूमैनिटीज या कॉमर्स रहा है। डीयू के एकेडमिक सेशन 2022 की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।

Hindu College: महात्मा गांधी, पंडित नेहरू से लेकर ऐनी बेसेंट का गवाह बना है कॉलेज
हिंदू कॉलेज बड़ी ऐतिहासिक घटनाओं से लेकर बड़ी हस्तियों तक का गवाह बना है। आजादी के दौर में यहां
महात्मा गांधी, पंडित नेहरू से लेकर ऐनी बेसेंट तक ने छात्रों को संबोधित किया। वर्ष 1899 में यह कॉलेज पुरानी दिल्ली के कृष्ण गुड़वाले ने स्थापित किया।
उस दौरान दिल्ली के नामी लोग इसके ट्रस्टी भी बने। 4 कमरों में संचालित इस कॉलेज में एक बोर्डिंग हाउस भी बनाया गया। हालांकि, जगह की कमी थी तो कॉलेज 1908 में कश्मीरी गेट में शिफ्ट किया गया। जहां एक हॉस्टल भी बनाया गया। आखिर साल 1922 में दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई और हिंदू कॉलेज का नाम सदा के लिए इसके साथ जुड़ गया।
Hindu College: पहले यह पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त था। उस वक्त यहां सिर्फ एमए हिंदी कोर्स पढ़ाया जाता था। ब्रिटिश राज से आजादी की मांग तेज हो रही थी और हिंदू कॉलेज के स्टूडेंट्स ने हमेशा ही आजादी और लोकतंत्र का नारा उठाया।
कॉलेज पार्लियामेंट तक बनी, जिसे समय समय पर देश के नामी चेहरों ऐनी बेसेंट, राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद ने संबोधित किया। यही वो कॉलेज था जिसने क्रांतिकारी चंद्रशेखर बोस को अपने हॉस्टल में शरण दी थी। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी ने भी इस कॉलेज का दौरा किया।
Hindu College: देश और दुनिया में यहां के छात्रों का जलवा

Hindu College: देश को आजादी मिलने के बाद हिंदू कॉलेज का महत्व और भी अधिक बढ़ गया था।विभाजन के दौर में जब शरणार्थी भटक रहे थे, कॉलेज ने शरणार्थियों की मदद करते हुए कॉलेज डबल शिफ्ट में चलाना शुरू किया। आखिरकार साल 1953 में करीब 25 एकड़ भूमि हिंदू कॉलेज को मिली।
कॉलेज ने अपनी परमानेंट बिल्डिंग में क्लासरूम्स, लैब्स, लाइब्रेरी से लेकर खेलने के मैदान, हॉस्टल सब कुछ बसाया। उसके बाद से साल दर साल यहां से बुद्धिजीवी छात्रों की फौज निकलती गई और देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी इसके छात्रों ने कामयाबी के झंडे गाड़े।
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