कहा जाता है कि भारत में कुल 33 करोड़ देवी देवता हैं और 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल 20 लाख मंदिर हैं। इन मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। कई तरह के देवी देवता है। जिसकी श्रद्धा जिसमें होती है वे उस देवी की पूजा करते हैं।
नवरात्र को महज 9 नौ दिन बाकी है। इस समय लोग मंदिर जाना पसंद करते हैं। भक्त बहुत सी मान्यताएं मानते हैं। यदि आप को नहीं पता है कि कौन सा मंदिर सबसे अधिक प्रचलित है, तो हम आप को यहां बता रहे हैं उन पांच मंदिरों के बारे में जिनकी कहानी अद्भुत है।
- नैना देवी मंदिर
- ऐसा माना जाता नैनीताल का नाम नैना देवी मंदिर के नाम ही रखा गया है। जो अपनी अपार शक्ति और लोकप्रियता के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में दो नैन हैं जो नैना देवी के माने जाते हैं, यह मंदिर नैना देवी को समर्पित है। इस मंदिर में सती के शक्ति रूप की पूजा होती है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे तब इसी रास्ते में देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीलिए इस जगह पर इन मंदिर की स्थापना की गई थी।
- कामाख्या देवी मंदिर
- गुवाहाटी से तक़रीबन 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में यह मंदिर स्तोत है जो असम की राजधानी दिसपुर के पास है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है, जिससे विशाल तांत्रिक महत्त्व जुड़ा हुआ है। यह मंदिर नीलाचल पर्वत पर बना हुआ है। वर्तमान में यह तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल माना जाता है। यह हिन्दू धर्म के अनुसार 51 शक्तिपीठ में से एक है और सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। इस मंदिर की अपनी अनेक विशेषतायें हैं जो अपने आश्चर्यों से भक्तों को आश्चर्य कर देती हैं।
- करणी माता मंदिर
- राजस्थान के ऐतिहासिक शहर बीकानेर से तक़रीबन 30 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव देशनोक की सीमा पर यह अद्भुत मंदिर स्थित है, जो जोधपुर के सड़क मार्ग पर ही पड़ता है। इस मंदिर के करामाती आश्चर्य इसे देवी के भक्तों के बीच खासा लोकप्रिय बनाते हैं। इस मंदिर को चूहे वाला मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर में हज़ारों लाखों चूहों को देख भक्त दंग रह जाते हैं। इसकी ख़ास बात यह है कि इतने चूहे होने के बावजूद यहाँ कोई महामारी का खतरा नहीं होता। अनेकों भक्तों का मत है कि करनी माता साक्षात दुर्गा देवी का अवतार थीं, जो यहाँ तक़रीबन साढ़े सात सौ वर्ष पूर्व यहाँ पर बनी एक गुफा में रहकर अपने इष्ट देव की पूजा किया करती थीं। इसलिए यहाँ यह भव्य मंदिर स्थापित किया गया था।
दुर्गा मंदिर वाराणसी
- बनारस का यह भव्य मंदिर माता दुर्गा को समर्पित है। माना जाता है की यह मंदिर 18 वीं शताब्दी में निर्माण गया था जिसे बंगाल की एक रानी ने बनवाया था। इस मंदिर में एक दुर्गा कुण्ड है जो इस मंदिर का अहम हिस्सा है। नवरात्र में यह मंदिर देखने योग्य होता है। इस मंदिर की साज-सज्जा ऐसी होती है जैसे मानों नई नवेली दुल्हन हो। यहाँ आप दुर्गा देवी का आशीर्वाद और देवी के दरबार में हाज़िरी लगाने के लिए आ सकते हैं। जहाँ देवी खुद कामनाएं सुनती हैं।
अधर देवी मंदिर (अर्बुदा देवी)
- राजस्थान का एक मात्र खूबसूरत हिल स्टेशन माउंट आबू जितना की अपनी खूबसूरती और ठंडी जलवायु के लिए जाना जाता है उतना ही यह अधर देवी मंदिर के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। अधर देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक कात्यायनी का रूप हैं। जो देश की 52 शक्तिपीठों में छठा शक्तिपीठ में गिना जाता है। जहाँ भगवान शिव के तांडव के समय माता पार्वती का अधर यहीं गिरा था। यह मंदिर तीन नामों से जाना जाता है- अर्बुदा देवी,अधर देवी और अम्बिका देवी। कहा जाता है कि यह मंदिर साढ़े पांच साल पुराना है। चूँकि यहाँ माता पार्वती थी इसलिए इसका नाम अधर पड़ गया। ऐसा माना जाता है की जब भगवान शिव ने माता पार्वती के शरीर पर तांडव किया था तब उसी दौरान माता पार्वती के होंठ इसी स्थल पर गिरे थे।