Karwa Chauth Special: करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चांद को देखने के बाद ही व्रत को तोड़ती हैं। इस दिन वह सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दौरान हाथों पर मेहंदी रचाना शुभ माना जाता है क्योंकि इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ के लिए कई बार सवाल किया जाता है कि क्यों व्रत रखती हैं महिलाएँ, अन्न जल का क्यों त्याग करती है? इसी तरह के तमाम सवालों का जवाब एक पत्नी ने बड़ी ही खूबसूरती से यहां दिया है।
*मैं करवाचौथ पर व्रत क्यों रखूंगी ?*
क्योंकि यह मेरा तरीका है आभार व्यक्त करने का उस के प्रति जो हमारे लिए सब कुछ करता है। मैं व्रत करूंगी बिना किसी पूर्वाग्रह के, अपनी खुशी से।
*अन्न जल त्याग क्यों ?*
क्योंकि मेरे लिए यह रिश्ता अन्न जल जैसी बहुत महत्वपूर्ण वस्तु से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। यह मुझे याद दिलाता है कि हमारा रिश्ता किसी भी चीज़ से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह मेरे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के होने की खुशी को मनाने का तरीका है।
*सजना संवरना क्यों ?*
मेरे भूले हुए गहने साल में एक बार बाहर आते हैं। मंगलसूत्र , गर्व और निष्ठा से पहना जाता है। मेरे जीवन में मेहंदी , सिन्दूर ,चूड़ियां उनके आने से है तो यह सब मेरे लिए अमूल्य है। यह सब हमारे भव्य संस्कारों और संस्कृति का हिस्सा हैं। शास्त्र दुल्हन के लिए सोलह श्रृंगार की बात करते हैं। इस दिन सोलह श्रृंगार कर के फिर से दुल्हन बन जाईये। विवाहित जीवन फिर से खिल उठेगा।
*कथा क्यों और वही एक कथा क्यों ?*
एक आम जीव और एक दिव्य चरित्र देखिये कैसे इस कथा में एक हो जाते हैं। पुराना भोलापन कैसे फिर से बोला और पढ़ा जाता है , इसमें तर्क से अधिक आप परंपरा के समक्ष सर झुकाती हैं। हम सब जानते हैं लॉजिक हमेशा काम नहीं करता। कहीं न कहीं किसी चमत्कार की गुंजाईश हमेशा रहती है। वैसे भी तर्क के साथ दिव्य चमत्कार की आशा किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाती।
*मेरे पति को भी व्रत करना चाहिए ?*
यह उनकी इच्छा है वैसे वो तो मुझे भी मना करते हैं। या खुद भी रखना चाहते हैं ..मगर यह मेरा दिन है और सिर्फ मुझे ही वो लाड़ चाहिए। इनके साथ लाड़ बाँटूंगी नहीं इनसे लूंगी।
*भूख , प्यास कैसे नियंत्रित करोगी ?*
कभी कर के देखो क्या सुख मिलता है। कैसे आप पूरे खाली होकर फिर भरते हो इसका मज़ा वही जानता है , जिसने किया हो।
*चन्द्रमा की प्रतीक्षा क्यों ?*
असल मे यही एक रात है जब मैं प्रकृति को अनुभव करती हूँ। हमारी भागती शहरी ज़िन्दगी में कब समय मिलता है कि चन्द्रमा को देखूं। इस दिन समझ आता है कि चाँद सी सुन्दर क्यों कहा गया था मुझे।
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