रंगो का त्योहार होली इस साल 29 मार्च को है। लोग होली की तैयारियां अभी से कर रहे हैं। बाजारों में रंग बिकने शुरू हो गए हैं। पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। 28 की रात को होलिका दहन है और 29 मार्च को लोग उत्साह के साथ होली मनाएंगे। इस बार की होली कई मायने में खास होने वाली है।

ज्योतिषियों की मानें तो इस बार होली पर 499 साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है। ज्योतिर्विदों का कहना है कि होली पर चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा, जबकि बृहस्पति और न्याय देव शनि अपनी-अपनी राशियों में विराजमान रहेंगे। ज्योतिषियों के मुताबिक, ग्रहों का ऐसा महासंयोग 1521 में भी बना था। 499 साल बाद एक बार फिर होली पर ऐसा महासंयोग बनेगा।

ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि होली पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बनेंगे। ये दोनों ही योग बेहद शुभ माने जाते हैं।

होली होलिका दहन रविवार, 28 मार्च को किया जाएगा। इस दिन शाम 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 56 मिनट तक होलिका दहन का मुहूर्त बताया जा रहा है। यानी इसकी कुल अवधि 02 घंटे 19 मिनट की रहेगी। पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को सुबह करीब साढ़े तीन बजे से 29 मार्च की रात करीब सवा बारह बजे तक रहेगी।

कब से हैं होलाष्टक- हिंदू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस समयावधि को होलाष्टक कहा जाता है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक होलाष्टक रहते हैं। इस बार होलिका दहन 29 मार्च को होगा, इसलिए होलाष्टक 22 मार्च से 28 मार्च तक रहने वाले हैं। होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े काज किए जा सकते हैं।

क्यों होते हैं होलाष्टक- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हिराण्यकश्यप ने आठ दिन तक अपने पुत्र प्रह्लाद को बहुत प्रताड़ित किया था। भगवान विष्णु की भक्त प्रह्लाद पर बहुत कृपा थी, इसलिए वह हर बार उनसे बच जाते थे। तभी से होली से 8 दिन पहले होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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