देश में हर साल प्याज की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साल के शुरुआती महीनों में जहां प्याज की कीमतों में अचानक और भारी गिरावट से किसान तबाह हो गए थे वहीं अब प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी हैं और आम आदमी परेशान है।
छह महीने पहले प्याज की कीमतें 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम थीं जो अब बढ़कर 70, 80, 90 और यहां तक कि 100 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। जानकार मान रहे हैं कि कीमतें 150 रुपये किलो तक भी जा सकती हैं। प्याज की कीमतों में अचानक गिरावट और बढ़ोतरी की वजह लोग जानना चाहते हैं। इसकी दो वजह मानी जा सकती हैं, एक है मांग में वृद्धि और आपूर्ति की कमी और दूसरा कारण यह है कि पिछले कुछ दिनों में प्याज की कीमतें दो से तीन गुना बढ़ गई हैं।
बाजार विशेषज्ञ मान रहे हैं कि नवंबर में प्याज की कीमतें 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाएंगी। हालांकि इसके पीछे पहली वजह मांग और आपूर्ति में अंतर है, लेकिन, यह जानना दिलचस्प है कि भारत में प्याज की खेती साल में दो बार की जाती है। प्याज एक बार रबी सीज़न (नवंबर/दिसंबर) में और फिर ख़रीफ़ सीज़न (जून/जुलाई और सितंबर/अक्टूबर) में उगाया जाता है। इसका मतलब यह है कि देश में पूरे साल प्याज उगाया जाता है, जिससे भारत प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि साल भर उगाए जाने के बाद भी प्याज की कीमतें हर साल क्यों बढ़ जाती हैं। दरअसल कीमत में उतार-चढ़ाव के पीछे वजह यह है कि जो किसान प्याज उगाते हैं, वे अधिक पैसा कमाने के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचते हैं, जिससे देश में आपूर्ति की कमी हो जाती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की बिक्री को सीमित करने के लिए सरकार ने 40 फीसदी निर्यात कर लगाया है। केंद्र ने प्याज निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 66,730 रुपये प्रति टन तय किया है। मतलब, 31 दिसंबर तक कोई भी प्याज व्यापारी इससे कम कीमत पर प्याज का निर्यात नहीं कर सकता। सरकार NAFED (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Ltd.(NAFED)) के बफर स्टॉक में रखे 2.5 लाख टन प्याज को भी स्थानीय बाजार में 25 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रही है।