Supreme Court:सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बीमा कंपनी LIC के IPO को लेकर केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मामले में दखल देने से इंकार कर दिया है।अब आईपीओ की तय प्रक्रिया पहले की ही तरह जारी रहेगी। गुरुवार से एलआईसी आईपीओ का अलॉटममेंट हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘यह निवेश का मामला है। पहले ही 73 लाख सब्सक्रिप्शन बन चुके हैं। ऐसे मामले में हम कोई अंतरिम राहत नहीं दे सकते। अंतरिम राहत देने का मामला नहीं बनता।
हालांकि कोर्ट आईपीओ की संवैधानिक वैधता का परीक्षण करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए मनी बिल के जरिए केंद्र को नोटिस भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने और केन्द्र के जवाब पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त 4 हफ्ते का समय दिया है।

Supreme Court: बॉम्बे और मद्रास हाईकोर्ट में की थी याचिका दाखिल

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह जनता का पैसा है। जिसे अब LIC का धन बनाया जा रहा है। अब LIC के पॉलिसी धारकों का पैसा शेयर धारकों को दिया जाएगा।
दरअसल LIC की 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी को केंद्र सरकार ने शेयर के रूप में जारी करने का निर्णय लिया है। जिसके खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। बॉम्बे और मद्रास हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की अर्जी खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुंनौती दी गई है।
Supreme Court: जनता के हित का रखें ध्यान
इस संशोधन से पहले 95 फीसदी सरप्लस पॉलिसी होल्डर्स को और पांच फीसदी केंद्र सरकार के लिए जाता था। इस मनी बिल के जरिए संशोधन करके पॉलिसीहोल्डर्स का हिस्सा शेयरहोल्डर्स को दे दिया गया है। जबकि तीसरे पक्ष का अधिकार बना दिया गया है।
मालूम हो कि 4 मई को ही IPO खुला है। अब अलॉटमेंट शुरू होना है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट किसी तरह की अंतरिम राहत दी जानी चाहिए, जिन लोगों ने एप्लाई किया है, उनके हित को बचाते हुए ये राहत दी जाए।
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