भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद शुक्रवार, 6 जून को बड़ी घोषणाएं कीं। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अब रेपो रेट को घटाकर 5.5% कर दिया गया है, जबकि कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 4% से घटाकर 3% किया जा रहा है। इस कटौती को चार चरणों में लागू किया जाएगा—6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर को। इससे बैंकिंग व्यवस्था में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आने की उम्मीद है, जिससे बैंकों की लेंडिंग क्षमता में इज़ाफा होगा और लोन की लागत घटेगी।
महंगाई में राहत, अब 3.7% रहने का अनुमान
गवर्नर ने बताया कि खुदरा महंगाई दर में पिछले कुछ महीनों में स्पष्ट गिरावट आई है। जहां अक्टूबर 2024 में यह 6% से ऊपर थी, वहीं अप्रैल 2025 में यह घटकर 3.2% तक आ गई है। अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई दर औसतन 3.7% रहने का अनुमान लगाया गया है, जो कि रिजर्व बैंक के लक्ष्य के अनुरूप है।
आर्थिक वृद्धि की गति बनी रहेगी – 6.5% जीडीपी ग्रोथ का पूर्वानुमान
संजय मल्होत्रा ने कहा कि 2025-26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ में मजबूती बनी रहेगी। चारों तिमाहियों के लिए क्रमशः 6.5%, 6.7%, 6.6% और 6.3% की विकास दर का अनुमान जताया गया है। निजी उपभोग और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक नीति में यह नरमी जरूरी मानी गई है।
भारत बना निवेशकों का भरोसेमंद ठिकाना
उन्होंने बताया कि भारत में विदेशी निवेशकों की रुचि लगातार बनी हुई है। एफडीआई इनफ्लो में भी मजबूती दिखी है—2024-25 में यह 14% बढ़कर 81 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो 2023-24 में 71.3 अरब डॉलर था। साथ ही, विदेशी निवेशकों की निवेश की एंट्री और एग्ज़िट प्रक्रिया में पारदर्शिता को उन्होंने भारत के परिपक्व वित्तीय बाजार का संकेत बताया।
चालू खाता घाटा भी रहेगा नियंत्रित
गवर्नर ने यह भी जोड़ा कि मजबूत सेवा क्षेत्र के निर्यात, रेमिटेंस और व्यापार घाटे में सुधार की वजह से वित्त वर्ष 2024-25 में चालू खाता घाटा (CAD) नियंत्रित रहने की संभावना है। अप्रैल 2025 में भारत का माल व्यापार भी स्थिर और संतुलित रहा है, जिससे वैश्विक अस्थिरताओं के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है।