यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के अपनी मांगों को लेकर देश के विभिन्न बैंक कर्मियों ने मंगलवार को एक दिवसीय हड़ताल रखा। इस हड़ताल से देश भर में बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित  हुई। जिस वजह से बैंकों का करोड़ों रूपये का लेन-देन रूक गया साथ ही ग्राहकों को भी बहुत परेशानी हुई।

इस हड़ताल में भारतीय मजदूर संघ के दो संगठन नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नेशनल ऑर्गेनाइजेश्न ऑफ बैंक ऑफिसर्स शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक संघ (आईबीए), यूएफबीयू के मुख्य श्रम आयुक्त अनिल कुमार नायक के साथ 21 फरवरी को बैठक हुई थी। इसमें बैंक प्रबंधक के खराब रूख के कारण सही परिणाम नहीं निकल सका।

कर्मचारियों ने बैंको के बाहर विरोध प्रदर्शन कर नारेबाजी की। ऑल इंडिया बैंक एम्पलायीज एसोसिएसन (एआईबीईए) के मंत्री आर के जैन का कहना है कि कर्मचारियों और अधिकारियों को नोटबंदी के दौरान अतिरिक्त कार्य करने की न्यायसंगत प्रतिपूर्ति दी जाए। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के अंतर्गत उपदान की सीमा को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि यूनियन के आह्वान पर हड़ताल की गई है। इसका उद्देश्य बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों को न्याय दिलाना है। इस दौरान एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरपाल सिंह, उपाध्यक्ष सुखदेश सिंह, सुभाष कौशिक, अवनिश, आदि मौजूद रहे।

सीएलसी का कहना है कि आईबीए और यूएफबीयू के साथ इस मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है। वरिष्ठ केंद्रीय नेता ने कहा कि आईबीए और वित्त मंत्रालय के नकारात्मक रवैये को देखते हुए हड़ताल के बाद यूएफबीयू के साथ जल्द ही बातचीत करने की जरुरत है।

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