Karnataka Election 2023:कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। प्रदेश के कुल 224 सीटों पर चुनाव होंगे और वहीं इसके नतीजे 13 मई को आएंगे। अभी कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है और सीएम हैं बसवराज बोम्मई। इस बीच कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को लेकर मामला तूल पकड़ा हुआ है। प्रदेश में बीजेपी ने कहा कि वो धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं देगी जबकि कांग्रेस का कहना है कि उसकी सरकार आई तो वह मुस्लिमों के हटाए गए 4 फीसदी आरक्षण को बहाल कर देगी।
इसी आरक्षण मामले को लेकर बीजपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। बीजेपी ने कहा कि मजहब के नाम पर आरक्षण देने वाले भारत के हितैषी नहीं है वहीं, इस पर कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए अपना प्लान बताया है।
Karnataka Election 2023:धर्म के नाम पर नहीं होना चाहिए आरक्षण-अमित शाह
मंगलवार को कर्नाटक में रैली को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था,”यहां धर्म के आधार पर 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण था। भाजपा की सरकार ने वोट बैंक की लालच में पड़े बिना, इस मुस्लिम आरक्षण को समाप्त कर दिया है। हम मानते हैं कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। मुस्लिम आरक्षण समाप्त करने के बाद हमने SC, ST, वोकलिंगा और लिंगायत सब के आरक्षण में बढ़ोतरी करने का काम किया है।”
वहीं, आज बेलगावी में जनसभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा,”कांग्रेस ने धर्म के आधार पर आरक्षण देकर भारत के संविधान की अवमानना की।”
सीएम योगी ने कहा,”जो लोग समाज को जाति के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं। जिन्होंने मजहब के आधार पर आरक्षण देने की घोषणा की है वे भारत के हितैषी नहीं हो सकते। मजहब के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है।” इन सभी के अलावा बीजेपी के कई और नेता हैं जो धर्म के नाम पर आरक्षण देने की बात को गलत बता रहे हैं।
अब इस मामले पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है।
क्या इस देश में आरक्षण नहीं था-खड़गे
कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को लेकर मचे घमासान के बीच कांग्रेस की भी अपनी प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मसले पर अपनी बात कही है। उन्होंने कहा,”क्या इस देश में आरक्षण नहीं था? क्या मंडल कमीशन नहीं था?”
उन्होंने आगे कहा,”आरक्षण तो सबसे पहले कर्नाटक ने दिया है। आप(बीजेपी) लोगों को क्यों भड़का रहे हैं? हम जो करेंगे कानून के तहत करेंगे।”
कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण कोटे को खत्म करने का मामला
कर्नाटक में मुस्लिमों को दिए गए चार फीसदी OBC आरक्षण समाप्त कर पात्र मुसलमानों को EWS के तहत वर्गीकृत किए जाने और उस चार फीसदी आरक्षण वोक्कलिगा और लिंगायत समुदायों के बीच बांटने और सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की 2 नई श्रेणियों की घोषणा किए जाने के मामले पर कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण को असंवैधानिक है। राज्य सरकार का कहना है कि धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाना संवैधानिक नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 की भावना के भी खिलाफ है।
कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार के इस आदेश से लिंगायतों और वोक्कालिंगों समुदाय के अन्य पिछड़ा वर्ग को अतिरिक्त लाभ होगा। ऐसे में राज्य सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने का अंतरिम आदेश उचित नहीं है।
कर्नाटक सरकार ने याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा है कि याचिका सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता सीधे सुप्रीम पहुंच गए हैं,जबकि हाइकोर्ट के किसी फैसले के बाद ही सुप्रीम कोर्ट को मामले की सुनवाई क्योंकि यह मामला अभी भी हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।
वहीं, जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच मे कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण कोटे को खत्म करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओ पर सुनवाई अब नौ मई को करेगा। कर्नाटक सरकार की ओर से SG तुषार मेहता की ओर से मामले पर सुनवाई का अनुरोध किया था। जिसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 मई तय कर दी।
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