आज से पांच साल पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्लीवासियों को उनका हक दिलाने के लिए राजनीति के दलदल में उतरे थे। जिसके बाद  दिल्ली की जनता ने आम पार्टी पर भरोसा कायम कर 95 फीसदी सीट उनकी झोली में डाली थी। लेकिन सामने आए डॉक्यूमेंट से प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या आम आदमी पार्टी दिल्लीवासियों के पैसे के साथ उनसे विश्वासघात तो नहीं कर रही। क्योंकि केजरीवाल अरुण जेटली के द्वारा दर्ज मानहानि केस के खर्च का पैसा सरकारी राजकोष से उठा रही है। इसी के साथ अब राम जेठमलानी भी इस विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं क्योंकि उन्होंने कालेधन के खिलाफ लड़ाई में बिना फीस के केस लड़ने की बात कही थी, लेकिन अब वह इसी केस की फीस 3 करोड़ रुपए ले रहे है।

दूसरी तरफ योगी पहली कैबिनेट बैठक को लेकर यूपी की जनता में दिलचस्बी बढ़ी हुई हैं। बैठक के दौरान सरकार खेती और किसानी को लेकर कुछ अहम फैसले ले सकती हैं, जिसमें सबसे उपर किसानों के ऋण माफी की बातें होगी। जिस फैसले पर राज्य भर के सभी किसानों की निगाहें टिकी होंगी।

एपीएन के खास शो मुद्दा में इन्हीं पहलुओं को लेकर चर्चा की गई कि बहुत कठिन है डगर पनघट की क्या योगी सरकार के राज में आएंगे अच्छे दिन? इस चर्चा को लेकर अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों जैसे आर बी मिश्रा (पूर्व कार्यवाहक CJ, हि.प्र. हाईकोर्ट), प्रशांत सिंह अलट (अधिवक्ता लखनऊ), ऋचा पाण्डेय (प्रवक्ता आप), नरेंद्र सिंह राणा (प्रवक्ता, यूपी बीजेपी), गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादन, APN), जगदेव सिंह (प्रवक्ता, सपा) और अजय पाल सिंह (किसान नेता) ने अपने मत को रखा। शो का संचालन एंकर अक्षय ने किया।

आर बी मिश्रा का मत है कि कोई भी आम नागरिक अपने मौलिक अधिकारों को लेकर संविधान के  अंतर्गत आर्टिकल 226 और 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जा सकता है लेकिन केजरीवाल सदैव अपने विवादित मामले को लेकर सुर्खियों में बने रहते है।

ऋचा पाण्डेय का मत है कि चुनावी दौर आते ही विपक्षी पार्टियों के द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का माहौल पैदा कर दिया जाता है। हमारी पार्टी जनता के एक एक पैसे की सदुपयोग कर रही है। रही बात डेमोक्रेसी की तो क्या अनिल बैजल की यह जिम्मेदारी नहीं बनती की वह डेमोक्रेसी की बातें करे?

प्रशांत सिंह अलट का मत है कि यह लड़ाई दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की न होकर केवल केजरीवाल के खिलाफ था।

गोविंद पंत राजू का मत है कि केजरीवाल भारतीय राजनीति में लोकतंत्र, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर राजनीति में आए थे वह खुद आज इसमें फंसते चले जा रहे है। सत्ता किसी को अधिकार नहीं देती कि वह उनके पैसों का दुरुपयोग करे।

नरेंद्र सिंह राणा का मत है कि यह मानहानी का केस है और केजरीवाल खुद के दम पर केस को लड़े न की सरकारी राजकोष के पैसे से, वरना इस प्रकार उनपर आर्थिक अपराधी का केस दर्ज हो सकता है। उन्होंने यूपी कैबिनेट मीटिंग को लेकर कहा कि हमारा दाईत्व नहीं किसानों का कर्ज मांफ करना बल्कि किसानों का विकास भी है।

जगदेव सिंह का मत है कि यूपी की जनता ने बीजेपी पर विश्वास कर उन्हे यूपी में दो तिहाई बहुमत दिलाया अब देखना यह है कि सरकार जनता को क्या देती है।

अजय पाल सिंह का मत है कि आज सभी किसानों की नजरे सीएम के वादे पर टिकी हुई है। लेकिन किसानों को जब तक लाभकारी मूल्य नहीं मिलेगा तब तक किसानों की उन्नती नहीं हो पाएगी।

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