समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा 2012-13 के बीच लोकपाल की नियुक्ति को लेकर जिस प्रकार से देशभर में आंदोलन चला उसे देखकर ऐसा लगा कि लोकपाल जल्द गठित हो जाएगा। लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद लोकपाल का मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया। यह मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार लोकपाल की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।
बता दें कि लोकपाल बिल पहली बार लोकसभा में 1968 में पेश किया गया और इसके कानून को बनने में लगभग 45 वर्ष लग गए। दिसंबर 2013 में संसद में लोकपाल बिल पारित तो हुआ लेकिन कानून से आगे लोकपाल को स्थापित भी करना है पूर्व सरकार यह भूल गई और वर्तमान सरकार भी इस दिशा में कुछ कोशिश करती नहीं दिख रही है। अगर केंद्र सरकार और विपक्ष का यही रवैया रहा तो लोकपाल को स्थापित करने में कई और वर्ष लग सकते है।
उधर, देहरादून की विकासनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने अपने विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए 24 मार्च को नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ईवीएम मशीनों की जांच कराने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायिक अधिकारी की उपस्थिति में सभी ईवीएम मशीनों को सील कर सुरक्षित रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार, केंद्रीय निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और विकासनगर विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी और विकास नगर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक मुन्ना सिंह चौहान को नोटिस भेजा है और छह हफ्ते के भीतर न्यायालय में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।
एपीएन न्यूज के खास पेशकश मुद्दा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को लगी लोकपाल बिल बनाने की फटकार व ईवीएम की विश्वसनियता पर खास चर्चा हुई। इस अहम चर्चा में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। जिनमें गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन), हरीश श्रीवास्तव (प्रवक्ता यूपी बीजेपी), कृष्णकांत पांडे (नेता कांग्रेस) और एन के मेहरोत्रा (पूर्व लोकायुक्त) शामिल रहे। शो का संचालन एंकर अक्षय ने किया।
कृष्णकांत पांडे का मत है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान बिल पारित करने के लिए विपक्ष के नेता को विपक्ष का दर्जा दिया गया था। रही बात सरकार कि तो इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में भ्रष्टाचार 67 फीसदी और बेरोजगारी 87 फीसदी बढ़ गई है।
हरीश श्रीवास्तव ने कांग्रेस प्रवक्ता के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि इनके आरोप बेबुनियाद और नाटकीय हैं। संसद में लोकपाल बिल पारित न होने का कारण विपक्षी नेता का संसद में न होना है। मैं अपनी तरफ से सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, इसपर केंद्र सरकार निश्चित रुप से कार्य करेगी। रही बात ईवीएम के विश्वसनियता की तो विपक्ष ईमानदारी से हारने के बजाय दलीलें पेश करने में लगा हुआ है।
गोविंद पंत राजू का मत है कि लोकपाल को लेकर मोदी सरकार भी गंभीर नहीं है। उन्होंने अपने प्रत्येक जनसंबोधन में भ्रष्टाचार को खत्म करने की बातें तो कि लेकिन लोकपाल का जिक्र तक नहीं किया। सरकार की मंशा हो तो सरकार सांसदों की बैठक कर विपक्ष के नेता के लिए कोई न कोई रास्ता निकाल लेगी, मगर सरकार नहीं चाहती की राज्यों में लोकायुक्त और केंद्र में लोकपाल की स्थापना हो।
एन के मेहरोत्रा का मत है कि कोर्ट के आए फैसले के मतानुसार भारत सरकार बिना विपक्ष के चयन समिति का निर्माण कर सकती है। लेकिन कोई नेता, प्रतिनिधित्व व सरकार नहीं चाहता कि एक ऐसी संस्था का निर्माण हो जो हमपर अंकुश लगाए। क्योंकि संविधान के अनुसार सांसद और विधायक ही सर्वोच्च होता है। उन्होंने ईवीएम के विश्वसनियता पर कहा कि वर्तमान युग में पेट्रोल पंप पर चिप लगाकर मुम्बई से उसे कंट्रोल किया जा सकता है तो ईवीएम में क्यों नहीं? अगर ईवीएम में छेड़खानी हुई है तो कहां और कब हुई है?इसकी जांच होनी चाहिए।