यूपी का चुनाव काफी जटिल है। यहां 80 फीसदी आबादी हिन्दू है, जिसके चलते यहां जाति, समुदाय, उम्मीदवार के चयन का समीकरण कई आपसी घालमेल कर चुवान का गणित तैयार होता है। लेकिन इस गणित को ज्यादातर बांधकर नहीं चलाया जा सकता है। धर्म की नगरी काशी में कुछ इसी प्रकार की झलक देखने को मिल रही हैं। जहां एक ओर जनता पीएम मोदी तो दूसरी तरफ राहुल, अखिलेश और मायावती को तवज्जो देने में पीछे दिखाई नहीं दे रही हैं। बनारस पीएम का संसदीय  क्षेत्र है फिर भी मोदी को यहां के आठ सीटों के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। जिसका कारण सहयोगी उम्मीदवार अपना दल का कमजोर पड़ना और विधायक रहे दादा श्यामदेव राय चौधरी का प्रचार न करना हैं। दादा जो कि पिछले सात सालों से यहां के विधायक पद पर काबिज हैं।

तो दूसरी तरफ जैनपुर की रैली में मुलायम यादव ने कैबिनेट मंत्री पारश्वनाथ पर के लिए एक प्रचार किया है। जिसमें उन्होने जनसभा को संबोधित कर पीएम मोदी को  झूठ का बादशाह बताया हैं। साथ ही कहा कि पीएम ने ठगी और झूठ बोलकर सरकार बनाया हैं।

एपीएन के स्टूडियो में इन्हीं दो खास मुद्दे पर चर्चा की गई, इस पैनल में अलग अलग जगहों के अनुभवी विशेषज्ञों को चर्चा में शामिल किया गया। जिनमें सुरेन्द्र पटेल (प्रवक्ता, कांग्रेस), अनिल यादव (प्रवक्ता, सपा), मोहसिन रजा (प्रवक्ता, बीजेपी) और  गोविंद पंत राजू (सलाहकार सम्पादक, एपीएन) बतौर मेहमान शामिल रहें। खास शो मुद्दे का संचालन एंकर अनन्त त्यागी ने किया।

सुरेन्द्र पटेल  ने कहा कि बीजेपी केवल दिमाग से काम करना चाहती है लेकिन राजनीति दिमाग से नहीं बल्कि दिल चलाई जाती हैं। उन्होने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि “वह किस खौफ में है?” अगर आज वह होली की शुभकामनाएं देने काशी गए है तो उन्हे दिवाली पर भी काशी जाना चाहिए था। उन्होने कहा कि जुमलेबाजो की सरकार ने बनारस में जाति समीकरण के आधार पर अपने उम्मीदवारों को खड़ा किया है। वही दूसरी तरफ उन्होने सपा नेता मुलायम यादव के लिए कहा कि “जिन्होने काम किया है उनके लिए केवल संदेश ही काफी है। यह गठबंधन उनके आदेशनुसार आगे बढ़ रही है।“

मोहसिन रजा ने वाराणसी चुनाव प्रचार को लेकर कहा कि “भय तो सपा, बसपा और कांग्रेस को होना चाहिए कि जनता ने बीजेपी को जिताने का फैसला कर लिया है।“ पीएम मोदी एक प्रधानमंत्री होने के अलावा वहां के सांसद भी है। वह काशी में उपस्थित होकर अपने इस त्यौहार की खुशियां मना रहे हैं, जिसके लिए बनारस जानी जाती है। वह जनता को शुक्रिया अदा कर रहे हैं। इस दृष्य को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कौन सी पार्टी खौफ में है और कौन बेखौफ?” वही उन्होने कांग्रेस प्रवक्ता पर तंज कसते हुए कहा कि जाति समीकरण करना जितना अच्छा कांग्रेस जानती है उतना कोई पार्टी नहीं जानता है।

अनिल यादव ने कहा कि हमने जहां भी चुनाव प्रचार किया है वहां केवल विकास का मुद्दा उठाया हैं। अब आप पीएम द्वारा गोद लिए गए जयापुर ग्राम को ही देख लिजीए जहां प्रधानी चुनाव में भी बीजेपी हार गई है। पीएम को हार का डर है। जिसके चलते वह बनारस में तीन दिनों के लिए अपने पूरी कैबिनेट को उठा लाए है। माना पीएम का यह संसदिय क्षेत्र है लेकिन क्या उन्हे इसकी याद केवल चुनाव के समय आई हैं। दूसरी तरफ उन्होने कहा कि नेताजी हमारे पार्टी सरंक्षण है। उन्हे जहां ठीक लगता है वह वहां प्रचार करते है।

गोविंद पंत राजू  ने कहा कि यह चुनाव का अंतिम दिन है और अगर कोई भी दल चुनावी रैली करता है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं हैं। अभी अभी सपा के युवा पारिवारिक कलह से निकलकर मैदान में उतरे है, मायावती की पार्टी क्या रुख लेगी, कांग्रेस को तो गठबंधन के माध्यम से पार्टी को आगे ले जाना है और बीजेपी सरकार सत्ता में आएगी कि नहीं यह चुनाव सभी पार्टियों के भाग्य का फैसला करेंगी। दूसरी तरफ उन्होने नेताजी पर कहा कि इस चुनाव में उनकी कोई भूमिका नहीं है, सपा ने उनका दूध में से मक्खी के समान निकालकर फेंक दिया है।

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