Allahabad High Court में लंबे समय से लंबित आपराधिक अपीलों पर नाराजगी जाहिर करते हुए Supreme Court ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि इस संबंध में गाइडलाइन जारी किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह तय किया जाएगा कि किन परिस्थितियों में अदालत को हिरासत में दोषियों की जमानत देने पर विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट को नोटिस जारी किया, जिसपर हाईकोर्ट द्वारा अपने हलफनामे में दिए गए सुझावों को बोझिल बताते हुए इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
दरअसल यूपी में दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। इस मामले में दो याचिकाओं के जरिए 97 कैदियों ने कोर्ट से पूर्व रिहाई मांगते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चार मई, 2021 के आदेश में प्रदेश सरकार को 2018 की नीति के मुताबिक 32 उम्रकैदियों की रिहाई का आदेश दिया था। साथ ही ऐसे ही अन्य मामलों पर भी विचार करने को कहा था। बावजूद इसके जब तय समय पर रिहाई नहीं हुई तो कैदियों ने कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल किया जिसके बाद प्रदेश सरकार ने 32 कैदियों को रिहा कर दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 की नीति में 28 जुलाई, 2021 को संशोधन कर दिया। इस संसोधन में कहा गया कि यह नीति 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के कैदी पर ही लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इन याचिककर्ताओ ने अपनी याचिका में कहा था कि सरकार ने कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए जुलाई में यह संशोधन किया है। याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि वैसे भी उनको रिहाई मिलनी चाहिए क्योंकि सरकार दावा नीति में किया गया संशोधन पूर्व प्रभाव से लागू नहीं माना जाएगा।
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