
MF Husain Death Anniversary: एक कलाकार को समाज में हमेशा एक आइने के रूप में देखा जाता है। एक कलाकार जो अपनी कला के जरिए समाज के हर अच्छे से लेकर बुरे पहलू तक को सबके लाने का काम करता है। बता दें कि कलाकर यानी चित्रकार हो मतलब ‘पेंटर’ तो वह अपने अपने जीवन में चित्रों के जरिए जीवन में रंग घोलने का काम करता है। चित्रकार वह कलाकार होता है, जो अपनी सोच को एक सक्षम रूप देने का काम करता है। हमारे देश में भी ऐसे ही एक कलाकार थे, जिन्होंने अपनी कला से इतिहास के पन्नों में अपना नाम कर दिया। उस कलाकार का नाम मकबूल फिदा हुसैन हैं। जिनको लोग एमएफ हुसैन के नाम से भी जाता था।
भारत के ‘पिकासो’ कहे जाने वाले एमएफ हुसैन का आज के दिन यानी की 9 जून को निधन हुआ था। एमएफ हुसैन एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के बहुत बड़े प्रशंसक थे। हुसैन ने आधुनिक पेंटिंग्स से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर एमएफ हुसैन के जीवन से जुड़े कुछ रोचक बातों के बारे में…

MF Husain Death Anniversary: देश के सबसे महान और विवादित पेंटर्स में से एक हैं
भारत के पिकासो’ नाम से मशहूर एमएफ हुसैन का पूरा नाम मकबूल फिदा हुसैन है। एमएफ हुसैन देश के सबसे महान और विवादित पेंटर्स में से एक हैं, जिनको बोल्ड और जीवंत रंगीन पेंटिंग बनाने के लिए भी जाना जाता है। एमएफ हुसैन 20वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध भारतीय कलाकारों में से एक थे। मकबूल फिदा हुसैन भारत के मशहूर और शायद सबसे विवादास्पद चित्रकार थे। उनका काम लाखों डॉलर में बिका। उनकी बनाई पेंटिंग पर कई तरह के विवाद हुए और उन्होंने 2006 में भारत छोड़ दिया। अपने सफेद बालों और लंबी दाढ़ी के साथ वो बड़े -बड़े समारोहों में नंगे पैर ही जाया करते थे। 95 साल की उम्र तक जिसने चित्रकारी करने की कला को बरकरार रखा। वो पेंटर अपनी मृत्यु से दो सप्ताह पहले तक पेंटिंग करता रहा। जिसकी एक पेटिंग लाखों डॉलर में बिका करती थी। उस चित्रकार का काम काफी हद तक पाब्लो पिकासो से मेल खाता था। इस वजह से ही दुनिया भर के लोगों ने उन्हें भारत के पिकासो के नाम से ज्यादा जाना।
हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। जब वह छोटे थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था। इसके बाद वह अपने पिता के साथ इंदौर रहने के लिए चले गए थे। यहीं से उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की थी। मदरसे में प्रवास के दौरान सुलेखन करते-करते एमएफ हुसैन की रूचि कला में जगने लगी। इसके बाद उन्होंने मुंबई के जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में एडमिशन ले लिया। अपने कॅरियर के शुरूआती दौर में वह पैसे कमाने के लिए हुसैन सिनेमा के पोस्टर बनाते थे। लेकिन पैसों की आर्थिक तंगी के कारण वह खिलौने की फ़ैक्टरी में भी काम करते थे। लेकिन उन्होंने अपनी पेंटिंग कला के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाई और इस क्षेत्र में शिखर तक पहुंचे। हुसैन एक शानदार फोटोग्राफर, फिल्म निर्माता भी थे। उन्होंने अपनी कलाकृतियों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते है, जिसमें पद्मश्री, पद्मविभूषण, पद्मभूषण जैसे अवॉर्ड शामिल है।

MF Husain Death Anniversary: निर्देशक बनने की चाह में आए मुंबई
हुसैन मशहूर पेंटर बनने से पहले फिल्मों के लिए होल्डिंग और बच्चों के खिलौने बनाया करते थे। एमएफ हुसैन फिल्मों में निर्देशक बनना चाहते थे, इसलिए मुंबई चले आए। मुंबई में वह बिलबोर्ड बनाने लगे। फिल्मों में काम नहीं मिला, लेकिन पेंटिंग से पहचान बन गई। 1940 आते-आते उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर के पेंटर बन गए। उन्हें साल 1973 में पद्म भूषण और साल 1991 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। बता दें कि हुसैन कभी जूते चप्पल नहीं पहनते थे और हमेशा नंगे पांव ही रहते थे।
MF Husain Death Anniversary: लोगों को दिलों से ऐसे बनाई जगह
दरअसल एमएफ हुसैन की शुरुआती जिंदगी फिल्मों के साथ शुरू हुई थी। हालांकि, कैनवस ने हुसैन को उनकी असली पहचान दिलाई। फिल्मों को लेकर वे हमेशा उत्साहित रहते थे। जिसके कारण वह 1960 के दशक में फिल्मों की ओर बढ़े और उनके द्वारा बनाई गई पहली फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली।

MF Husain का विवादों से रहा है गहरा नाता
कहा जाता है कि सफेद बाल दाढ़ी और सफेद कपड़ों के बीच हुसैन के हाथों में पड़ी एक कूची जब चल पड़ती थी तो रंगों को एक नई और अलग ही पहचान दे देती थी। हालांकि, उनके हाथ में पड़ी कूची और रंगों के इस खेल ने कब सांप्रदायिकता का रूप ले लिया, जिसके कारण पूरा कैनवास ही फीका पड़ गया। तथाकथित रूप से हिंदू देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाने के कारण हुसैन विवादों में फंस गए। साल 2006 में उनके खिलाफ खूब प्रदर्शन हुए और फिर उन्हें देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। इस दौरान वह लंदन, दोहा और कतर में रहे। इस दौरान 9 जून 2011 को लंदन में निधन हो गया।
MF Husain पर कई आपराधिक मामले दर्ज
एमएफ हुसैन जितने कैनवास पर लोकप्रिय हुए उनको उतना ही विवादों का सामना करना पड़ा। एमएफ हुसैन पर आठ आपराधिक शिकायत भी दर्ज की गई थी। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। हुसैन किसी भी धर्म को नहीं मानते थे। उनपर ईश-निंदा का भी आरोप लगा था। 95 वर्ष की आयु में एमएफ हुसैन का 9 जून, 2011 को कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। उन्होंने लंदन के रॉयल ब्रॉम्पटन अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली और 10 जून, 2011 को ब्रुकवुड कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया गया।
एमएफ हुसैन का जीवन साल 2006 से 2011 तक यानी उनकी निधन तक निर्वास में बिता। अपनी मृत्यु से एक साल पहले साल 2008 में भारत छोड़ने के बाद हुसैन को भारतीय इतिहास को दर्शाने वाली 32 पेंटिंग बनाने का काम सौंपा गया था। हालांकि, 2011 में अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने 8 चित्रों को पूरा किया। हुसैन आमतौर पर दोहा और लंदन में रहते थे।

MF Husain एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के थे फैन
एमएफ हुसैन ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर अपना मुकाम बनाया था। जो हर कलाकार का सपना होता है। वहीं हुसैन का सिनेमा से लगाव हमेशा रहा। बता दें कि वह बॉलीवुड की एक्सप्रेशन क्वीन माधुरी दीक्षित के बहुत बड़े फैन थे। एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित की दीवानगी का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि एक्ट्रेस की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ को एम एफ हुसैन ने 67 बार देखा था। इसके अलावा उन्होंने माधुरी दीक्षित के ऊपर पेंटिंग की पूरी सीरीज बना डाली थी।
बता दें कि 85 साल की उम्र में हुसैन ने माधुरी को लेकर साल 2000 में ‘गजगामिनी’ फिल्म बनाई थी। इस फिल्म का बजट करीब ढाई करोड़ के आसपास था। इस फिल्म ने महज 26 लाख रुपए ही कमाए थे। लेकिन इसके बाद भी हुसैन के सिर पर माधुरी दीक्षित की दीवानगी का आलम कायम रहा। माधुरी दीक्षित की फिल्म ‘आजा नचले’ के दौरान एम एफ हुसैन दुबई में थे। एक्ट्रेस की फिल्म देखने के लिए हुसैन ने दुबई के लैम्सी सिनेमा को पूरा अपने लिए बुक करवा लिया था।
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